

16 अगस्त 2010 का दिन ही शायद मेरे लिये अजीव था । शाम के समय मीनाक्षी निगम ( बदला हुआ नाम ) से मेरी मुलाकात हुयी । और मुझे मीनाक्षी को देखकर बेहद आश्चर्य हुआ । हालांकि तन्त्र मन्त्र के क्षेत्र में महिला का होना कोई आश्चर्य की बात नहीं थी । हजारों उन्मुक्त महिलायें इस क्षेत्र में मेरे अनुभव में आयी हैं । लेकिन वे अधिकांश घर से अलग हो चुकी होती हैं । और योगिनी या बाई जैसा जीवन जी रही होती हैं । पर मीनाक्षी एक शिक्षित परिवार की और स्वयं भी शिक्षित महिला थी । मुझे आश्चर्य इस बात का था कि उसकी रुचि मारण । मोहन । वशीकरण । हंडिया । शवसाधना । मुठकरनी । जैसी घोर तामसिक और दूसरे को कष्ट और नुकसान पहुंचाने वाली साधनाओं में बडे तीव्र स्तर पर थी । मैंने उसके बारे में और जानने के लिये प्रत्यक्ष एकदम मना नहीं किया कि मैं आपकी कोई सहायता नहीं कर सकता । मीनाक्षी के कामुक हावभाव देखकर मुझे पूर्वोत्तर क्षेत्र के उन आठ नौ जोगियों की याद आ गयी । जो शहर के बाहर एक शमशान के पास रहते थे । और भूत आदि का इलाज । औरत के बच्चा न होने जैसी कुछ बातों का इलाज करते थे । रात को दस ग्यारह बजे तक भटकी हुयी । भृमित हुयी औरतें उनके पास पहुंचती थी । इन औरतों को माध्यम होकर ले जाने वाली वे औरतें होती थी । जो कामवासना के मामले में कुन्ठित होकर इनके जाल में फ़ंस गयी होती थी । जहां वे जोगी उनको परसाद के नाम पर पेडे आदि में नशीला दृव्य खिलाकर एक तरह से ग्रुप सेक्स करते थे । और फ़िर भारतीय समाज के लिये ग्रुप सेक्स प्रायः दुर्लभ होने के कारण उनको इस नये अनुभव का चसका पड जाता था । और इस तरह उन ढोंगी साधुओं के पास जाने वालों की एक चेन सी आटोमेटिक ही बन जाती थी । इसके बाद ये जोगी कुछ महिलाओं को गांजा चरस स्मैक जैसे नशीले पदार्थों की लत लगा देते थे । और फ़िर नशे और सेक्स का एक नया खेल शुरू हो जाता । मीनाक्षी को देखकर मुझे ये बात इसलिये याद आयी कि दरअसल मीनाक्षी वही सेक्स का पत्ता इशारों में फ़ेंक रही थी । यानी मैं उसका मार्गदर्शन करूं । और वह मुझे इसकी मनचाही कीमत दे ।
मैंने कहा । तुम्हारी परेशानी क्या है ? उसने कहा । मैं कई बार लाख की संख्या में मन्त्र जाप कर चुकी हूं । मैंने
यहां पर ....ये क्रिया की ? मैंने शमशान में ये .....साधना की । मैंने उस पर ये तन्त्र....चलाया । जो कुछ हद तक चला भी...आदि ? तो मेरी ये मेहनत सफ़ल क्यों नहीं होती ? मेरे मन्त्र सिद्ध क्यों नहीं होते ? मेरे मन्त्र एक्टिव क्यों नहीं होते ? मैं मीनाक्षी की और देखकर रहस्यमय अन्दाज में मुस्कराया । क्रमशः
यहां पर ....ये क्रिया की ? मैंने शमशान में ये .....साधना की । मैंने उस पर ये तन्त्र....चलाया । जो कुछ हद तक चला भी...आदि ? तो मेरी ये मेहनत सफ़ल क्यों नहीं होती ? मेरे मन्त्र सिद्ध क्यों नहीं होते ? मेरे मन्त्र एक्टिव क्यों नहीं होते ? मैं मीनाक्षी की और देखकर रहस्यमय अन्दाज में मुस्कराया । क्रमशः
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