सोमवार, सितंबर 19, 2011

तांत्रिक का बदला 7


उसकी निगाह फ़िर से शमशान की तरफ़ गयी, और अबकी बार वह चौंक गया ।
उसके सामने एक अजीब दृश्य था ।
कपालिनी, कामारिका और कंकालिनी नाम से पुकारी जाने वाली तीन प्रेतगणें शमशान वाले रास्ते पर जा रही थीं । पर उसके लिये ये चौंकने जैसी कोई बात नहीं थी । चौंकने वाली बात ये थी कि वे रास्ते से कुछ हटकर खङी एक मँझले कद की औरत को धमका सा रही थी । औरत के पास ही दो छोटे बच्चे थे, और वह औरत उनके हाथ जोङ रही थी ।
कामारिका आगे खङी थी, और उस औरत के गाल पर थप्पङ मार रही थी । फ़िर उसने औरत के बाल पकङ लिये, और तेजी से उसे घुमा दिया । तब कपालिनी और कंकालिनी उसको लातों से मारने लगी ।
प्रसून की आँखों में खून उतर आया ।
उसका दहकता बदन और भी दुगने ताप से तपने लगा । शान्त योगी एकदम खूँखार सा हो उठा । फ़िर उसने अपने आपको संयत किया, और ध्यान वहीं केन्द्रित कर दिया । अब उसे वहाँ की आवाज सुनाई देने लगी ।
- नहीं, नहीं ! वह औरत हाथ जोङते हुये चिल्ला रही थी - मुझ पर रहम करो, मेरे बच्चों पर रहम करो ।
पर खतरनाक पिशाचिनी सी कामारिका, जैसे कोई रहम दिखाने को तैयार ही न थी । उसने दाँत चमकाते हुये जबङे भींचे, और जोरदार थप्पङ उस औरत के गाल पर फ़िर से मारा । इस पैशाचिक थप्पङ के पङते ही वह औरत फ़िरकनी के समान ही अपने स्थान पर घूम गयी । उसकी चीखें निकलने लगी । उसके बच्चे भी माँ माँ करते हुये रो रहे थे, पर डायनों के दिल में कोई रहम नहीं आ रहा था ।
-हे भगवान..मुझे बचा ! वह औरत आसमान की तरफ़ हाथ उठाकर रोते हुये बोली - मुझे बचा, कम से कम मेरे बच्चों पर रहम कर मालिक ।
- मूर्ख जीवात्मा ! कामारिका दाँत पीसकर बोली - कहीं कोई भगवान नहीं है, भगवान सिर्फ़ एक कल्पना है, चारों तरफ़ प्रेतों का राज चलता है, तू कब तक यूँ भटकेगी ।
- ये ऐसे नहीं मानेगी ! कपालिनी आपस में अपने हाथ की मुठ्ठियाँ बजाते हुये बोली ।
फ़िर उसने उसके दोनों बच्चे उठा लिये, और गेंद की तरह हवा में उछालने लगी ।
बच्चे अरब देशों में होने वाली ऊँट दौङ पर बैठे बच्चों के समान चिंघाङते हुये जोर जोर से रोने लगे । उधर कंकालिनी ने वापिस उसे लात घूँसों पर रख लिया ।
प्रसून को अब सिर्फ़ उस औरत के मुँह से ‘भगवान और मेरे बच्चे’ तथा दोनों माँ बच्चों के चीखने चिल्लाने की ही आवाज सुनाई दे रही थी ।
तीनों डायनें मुक्त भाव से अट्टाहास कर रही थी ।
प्रसून की आँखे लाल अंगारा हो गयी । उसका जलता बदन थरथर कांपने लगा ।


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