सोमवार, सितंबर 19, 2011

तांत्रिक का बदला 8




उसने सामने देखा । कामारिका कमर पर हाथ टिकाये दोनों डायनों द्वारा औरत और बच्चों को ताङित होते हुये देख रही थी । उसने उसी को लक्ष्य किया । फ़िर उसने मुठ्ठी से उँगली का पोरुआ निकाला, उसकी नारी स्तन के रूप में कल्पना की ।
और वह पोरुआ बेदर्दी से दाँतों से चबा लिया ।
- हा..आऽ ! कामारिका जोर से चिल्लाई ।
उसने स्तन पर हाथ रखा, और चौंककर इधर उधर देखने लगी । वह बेहद पीङा का अनुभव करते हुये स्तन सहला रही थी । कपालिनी कंकालिनी भी अचानक सहम कर उसे देखने लगी । प्रसून ने दूसरे स्तन का भाव किया, और दुगनी निर्ममता दिखाई ।
कामारिका भयंकर पीङा से चीख उठी । उसने दोनों स्तनों पर हाथ रख लिया, और लङखङा कर गिरने को हुयी । दोनों डायनें भौंचक्का रह गयी ।
फ़िर कपालिनी संभली, और दाँत पीसकर बोली - हरामजादे ! कौन है तू? सामने क्यों नहीं आता, जिगर वाला है, तो सामने आ.. नामर्द ।
तभी कपालिनी को अपने गाल पर जोरदार थप्पङ का अहसास हुआ ।
थप्पङ की तीव्रता इतनी भयंकर थी कि वह झूमती हुयी सी उसी औरत के कदमों में जा गिरी । जिसका कि अभी अभी वह कचूमर निकालने पर तुली थी ।
- बताते क्यों नहीं ! कामारिका फ़िर से संभल कर सहम कर बोली - त तुम.... आप कौन हो?
- इधर देख! प्रसून के मुँह से मानसिक आदेश युक्त बहुत ही धीमा स्वर निकला ।
तीनों ने चौंक कर उसकी दिशा में ठीक उसकी तरफ़ देखा ।


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