रविवार, अप्रैल 01, 2012

कामवासना 21



- सोचो तुम दोनों । वह जैसे उन्हें जीवन के रहस्य सूत्र बहुत प्यार से समझाती हुयी सी बोली - एक हिसाब से यह कहानी बङी उलझी हुयी सी है, और दूसरे नजरिये से पूरी तरह सुलझी हुयी भी । शायद तुम चौंको इस बात पर । पर मेरे इस अप्रतिम अदभुत सौन्दर्य, और इस ठहरे हुये से उन्मुक्त यौवन का ‘कारण राज’ सिर्फ़ मेरा प्रेमी ही तो है । न तुम, न तुम, न खुद मैं, न मेरा पति, न भगवान, न कोई और, सिर्फ़ मेरा प्रेमी ।
वो दोनों वाकई ही चौंक गये, बल्कि बुरी तरह चौंक गये ।
- हाँ जी । वह अपने चेहरे से लट को पीछे करती हुयी बोली - सोचो एक सुन्दर युवा लङकी, एक लङके से प्यार करती है, लेकिन उसका ये प्यार पूरा नहीं होता, और वो इस प्यार को करना छोङ भी नहीं पाती । नितिन यही बहुत बङा रहस्यमय सच है कि फिर चाहे लाखों जन्म क्यों न हो जाये, जब तक वह उस प्यार को पा न लेगी, तब तक वह प्रेमी उसके दिल से न निकलेगा । वह दिन रात उसी की आग में जलती रहेगी । प्रेम अगन । कौन जलती रहेगी ? एक टीन एज यंग गर्ल ।
ध्यान से समझने की कोशिश करो । प्यार के अतृप्त अरमानों में निरन्तर सुलगती, वो हसीन लङकी, वो प्रेमिका, उसके अन्दर कभी न मरेगी । चाहे जन्म दर जन्म होते जायें । कौन नहीं मरेगी ? वो हसीन लङकी, वो प्रेमिका ।
जिसके अन्दर पन्द्रह-सोलह की उम्र से, एक अतृप्त प्यास पैदा हो गयी ।
इसीलिये वो हसीन लङकी, वो प्रेमिका, मेरे अन्दर सदा जीवित रहती है, और वही मेरी मोहक सुन्दरता, और सदा यौवन का राज है ।


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