मंगलवार, मार्च 30, 2010

किसने भेजा है..??

स्वामी रामतीर्थ का वैराग्य..
स्वामी रामतीर्थ एक महान संत हुये हैं जब उन्हें पूर्ण वैराग्य हुआ तो उन्होनें अपनी पत्नी से कहा कि मैं ये घर छोङ रहा हूँ और तुम्हें और बच्चों को अब भगवान देखेगा.उनकी पत्नी ने कहा कि वैराग्य में मैं भी तुम्हारे साथ हूँ लेकिन बच्चों का क्या करें ? रामतीर्थ ने कहा कि सबको भगवान पालता है उन्हैं उनके भाग्य पर छोङ देता हूँ..दोनों तैयार हो गये और बच्चों को एक एक कर सङक पर छोङते गये..जिन्हें कुछ ही देर में
अच्छे घरों के लोग पालने के लिये ले गये..इस तरह चलते चलते जब दोनों को शाम हो गयी तो एक टीले पर जाकर बैठ गये .सुबह से कुछ खाया पीया भी नहीं था .
तभी एक आदमी गुजरा और साधु दम्पति को देखकर उन्हें प्रणाम किया और बोला , महाराज भोजन पानी हो गया..रामतीर्थ ने कहा कि अभी नहीं तो क्या व्यवस्था है..उसने पूछा . रामतीर्थ ने कहा संतो की व्यवस्था परमात्मा करता है ..वही करेगा
उस आदमी ने कहा कि मैं लाऊँ ..रामतीर्थ ने कहा कि नहीं ..फ़िर उन्होने पत्नी से कहा ..तुम घर से कुछ लायी हो इसीलिये वो कह रहा है कि "मैं " लाऊँ. वास्तव में उनकी पत्नी ने सोचा था कि शायद कोई बुरा वक्त आ जाय इसलिये एक सोने की अंगूठी वो अपने साथ ले आयी थी .रामतीर्थ ने उसके हाथ से अंगूठी छीन कर फ़ेंक दी और बैठ गये..कुछ देर
मैं दूसरा आदमी गुजरा . उसने भी प्रणाम किया और पूछा महाराज भोजन पानी..रामतीर्थ ने कहा वही भेजेगा . वह आदमी समझदार था .वह अपने घर से भोजन बनबाकर ले आया और बोला लो महाराज भोजन करो ..रामतीर्थ जैसे ही भोजन खाने लगे उन्हें कुछ ध्यान आया और उन्होने पूछा भोजन किसने भेजा है..वह आदमी मुस्कराकर बोला .महाराज उसी ने भेजा है..रामतीर्थ संतुष्ट होकर भोजन करने लगे .

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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।