सोमवार, जनवरी 03, 2011

जोर का झटका धीरे से लगे




3 जनवरी 2011
कल का मौसम बडा सुहावना था । इंजीनियर साहब आज फ़ुर्सत में थे । कुछ और सतसंगी भाई भी काम से छुट्टी पर थे । लिहाजा सब लोग मेरे पास आ गये । कडकडाती सर्दी में गरमागरम चाय का दौर चलने लगा । बाद में गरम ही मूंगफ़ली खाते हुये हम मानों सर्दी को किसी बच्चे के समान जीभ निकालकर चिढाने लगे ।
कल किसी बडे फ़ाल्ट की वजह से विधुत प्रवाह दिन भर बाधित रहा था । अतः कुछ न कुछ बात बिजली पर होना स्वाभाविक थी । इंजीनियर साहब ने बताया कि जव वह झांसी में रह रहे थे । किसी बाबा का एक छोटा सा आश्रम था । एक बार आश्रम पर बिजली विभाग का काफ़ी बिल हो गया । जो जमा नहीं हो पाया था । लिहाजा एक दिन विधुत कर्मचारी आकर बाबाजी की बिजली ही काट गये । बाबाजी ने दोबारा कनेक्शन जुडवाने के लिये कई चक्कर लगाये  पर किसी ने उनकी बात नही सुनी ।
तब बाबाजी को गुस्सा आ गया । वो सीढी लगाकर खुद ही विधुत पोल पर चढ गये और उन्होंने नंगे हाथों से ही तार उमेठकर जोड दिया । कहते हैं बिजली किसी को माफ़ नहीं करती, किसी के साथ रियायत नहीं करती ।
सो बाबाजी को बिजली का जोरदार झटका लगा ।
मगर बाबाजी, वो जोर का झटका, धीरे से झेल गये ।
कहते हैं बाबाजी को बिजली के उस झटके से ऐसा मजा आया कि वो रोज ही थोडा थोडा करेंट खुद को लगाने लगे । और नौबत यहां तक आ गयी कि वह बिजली के नंगे तारों को नंगे हाथों से आराम से छूने लगे ।
बात यहां तक पहुंच गयी कि उनका नाम ही करेंट बाबा पड गया ।
बाद में बिजली वालों ने आकर इस बात की सत्यता देखी और खुद बिजली की उन पर मेहरवानी देखते हुये उनके आश्रम की बिजली हमेशा के लिये मुफ़्त कर दी ।
(यह खबर अखबारों में भी प्रकाशित हुयी थी ।)
यह बात सुनकर मुझे बहुत पहले एक पत्रिका में पढी हुयी वह खबर याद आ गयी । जिसके अनुसार विदेश में कहीं (देश और शहर का नाम अब याद नहीं रहा) लगभग 17 वर्ष आयु की दो जुडवां बहनें रास्ते में जा रही थी कि तभी अचानक आसमानी बिजली उनमें से एक बहन के ऊपर गिरी, और गिरकर दो सेकेंड के भीतर ही उसके शरीर से गुजरती हुयी जमीन के अन्दर समा गयी ।
इसके बाद क्या हुआ? 
इसके बाद उस लडकी की शारीरिक सरंचना में कुछ ऐसा आंतरिक परिवर्तन हुआ कि वह वहीं के वहीं स्थिर रह गयी । उसके शरीर में न किसी प्रकार की बढत हुयी, और न ही गिरावट । जबकि उसकी बहन सामान्य लडकियों की तरह बडती रही । यहां तक कि उसकी बहन दादी बन गयी,  और वह 17 की ही रही । बाद में क्या हुआ, ये मुझे नहीं पता ।
बिजली का ऐसा ही एक और किस्सा मैंने सुना था ।
जिसमें एक आदमी का हाथ (शायद) बिजली से ही या किसी और चीज से जल गया था । जिससे उसकी नसें , मांसपेशियां आदि बुरी तरह जल गयी थीं । यह आदमी भी बिजली के नंगे तारों को बडे आराम से अपने हाथों से छूता था ।
इसी तरह शादी विवाह आदि में बिजली की सजावट करने वाले लडके बताते हैं कि वे नंगे हाथों से ही तार जोड देते हैं ।
मगर कैसे?
उनका कहना है, किसी भी तरह से आपको अर्थ (जमीन) का स्पर्श न हो । जब तक अर्थ नहीं छूयेगा । आपको करेंट किसी हालत में नहीं लगेगा ।
- हालांकि मैंने कभी भी ऐसे प्रयोग नहीं किये, और न ही मेरी करने की कोई दिलचस्पी है । फ़िर भी अनजाने में अब तक आठ दस बार करेंट मुझे भी लग चुका है, और प्रायः जीवन में सभी को लग ही जाता है । जिन लोगों को ऐसा हल्के करेंट का अनुभव हुआ होगा । उन्होंने एक चीज अवश्य महसूस की होगी, करेंट लगने के बाद हम खुद को चार्ज सा महसूस करते हैं । एक नयी और अनोखी ताकत सी महसूस करते हैं । इस सम्बन्ध में अलग अलग समय पर मैंने विद्वानों से जिक्र किया था तो उनका कहना था कि शाक अगर शरीर की क्षमता के हिसाब से, उतने ही निश्चित समय तक के लिये, कुदरती तौर पर लग जाय तो शरीर की आंतरिक सरंचना में अदभुत परिवर्तन आ जाते हैं । जो अधिकतर शरीर के लिये लाभदायक सिद्ध होते हैं ।
इसी क्रम में मैंने ये भी सुना है कि शरीर और जोडों के दर्द आदि में बिजली का तेल (ट्रांसफ़ार्मर से निकाला गया) बेहद लाभदायक होता है । लेकिन एक बार ये तेल लगाने के बाद, दूसरे तेलों का असर होना बन्द हो जाता है । कुछ भी हो, मुझे इनमें से किसी भी प्रयोग में दिलचस्पी नहीं, और आप भी मत करना ।
जान है तो जहान है वरना दुनियां वीरान है ।
इसलिये राम का भजन करो । वही सबसे अच्छा है ।
सीताराम सीताराम सीताराम कहिये ।
जाही विधि राखे राम ताही विधि रहिये ।
उसकी रजा में रजा, तो कट जायेगी सब सजा ।

मेरे बारे में

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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।