रविवार, दिसंबर 18, 2011

महातांत्रिक और मृत्युदीप 9


- प्रसून जी ! दोनों के कार में आने के बाद युवती बोली - इसी को कहते हैं ना, जंगल में मंगल । कल्पना करो, हम हनीमून कपल होते, तो सब कुछ कितना रोमांचक था ।
प्रसून का दिल हुआ, जोरदार ठहाका लगाये ।
गाङी में रखी इमरजेंसी लाइट जलने से आसपास का अँधेरा दूर हो गया था ।
बैंगलौर से यहाँ तक का हेलीकाप्टर से सफ़र भी थकान युक्त और बोझिल था ।
लेकिन लङकी मनवांछित की प्राप्ति से उर्जा से भरपूर थी, और किसी उल्लसित बच्चे की भांति कोई थकान महसूस नहीं कर रही थी ।
 - लिली ! वह अपने मनोभाव प्रकट किये बिना ही बोला - तुम्हें अब जल्द शादी कर लेनी चाहिये । उससे पहले कि कोई प्रेत तुम पर आशिक हो जाये ।
लिली एक हालीवुड एक्ट्रेस की दूसरी शादी से उत्पन्न सबसे बङी पुत्री थी, और लास एंजिल्स की रहने वाली थी । वह तेईस की आयु को पार कर रही थी, पर न तो उसने अभी तक शादी की थी, और न ही उसका कोई ब्वाय फ़्रेंड था ।
उसकी माँ का वास्तविक नाम मारग्रेट था, और वह हालीवुड की सफ़लतम अभिनेत्रियों में से एक थी । उसका असली पिता भी हालीवुड फ़िल्म इण्डस्ट्री से जुङा था ।
अमेरिकन आबोहवा में पली होने के बाबजूद भी लिली विचित्र स्वभाव वाली थी, और आदमियों से सख्त नफ़रत करती थी । अक्खङ स्वभाव की लिली को आज तक कोई पुरुष स्पर्श तक न कर पाया था ।
जिसके पीछे सिर्फ़ एक खास वजह थी । एक चिढ़ थी, एक मनोग्रन्थि सी बन गयी थी ।
और वह थी, किसी भी लङके से हाय होते ही, उसका दूसरा स्टेप लङकी के टाप में हाथ डालने का होता था, और थर्ड स्टेप सेक्स का ।
- पागल साले, कुत्ते । वह झुँझलाती । इससे पहले लङकी को समझने की कोशिश तक नहीं करते ।
लेकिन प्रसून के सम्पर्क में आकर पुरुषों के प्रति उसकी पूरी धारणा ही बदल गयी ।
प्रसून से उसकी सीधी सीधी कोई पहचान नहीं थी, बल्कि उससे उसकी मुलाकात मार्था के घर हुयी थी । प्रसून से मार्था का परिचय एक साइंटिस्ट के तौर पर था, और मार्था लिली की सबसे खास सहेली थी ।
- मार्था ! एक दिन लिली हैरत से बोली - ये तेरे घर में जो गेस्ट है । ये वाकई में इंसान ही है, या कोई एलियन है, या फ़िर रोबोट है, ये आखिर चीज क्या है?
- मुर्दा! मार्था बालों को पीछे फ़ेंकते हुये बोली - चलता फ़िरता मुर्दा, या प्रकट रूप प्रेत ।
प्रेत शब्द सुनते ही लिली के दिल में घण्टियाँ सी बजने लगी ।
अब उसने गौर से उस हैंडसम को देखा ।
कन्धों तक फ़ैले लम्बे बाल, गजब की अंग्रेजों जैसी गोरी रंगत ।
उफ़ ! वह भी कितनी पागल थी । जो इसे अभी तक गौर से देखा नहीं था ।
बिलकुल हेल्दी माइकल जैक्सन सा, वह कुछ दूर एक तरफ़ लेपटाप से फ़ालतू में उलझा हुआ था । तब, जब दो दो हसीन जवान लङकियाँ उस कक्ष में मौजूद थी ।
तब मार्था को गोली मारती हुयी वह उसकी तरफ़ गयी, और हाय किया ।
उसने शालीनता से मुस्कराते हुये प्रत्युत्तर दिया, और वापिस स्क्रीन देखते हुये माउस एडजस्ट करने लगा ।
अपनी अब तक की जिन्दगी में लिली की इससे अधिक बेइज्जती कभी न हुयी थी ।
उसने लिली को एक भरपूर निगाह देखना भी उचित नहीं समझा था ।
मार्था मन ही मन अट्टाहास करती हुयी जबरदस्ती होंठ भींचे सिगरेट सुलगाने लगी ।
- आज आ ही गया, ऊँट पहाङ के नीचे । उसने सोचा ।


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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।