रविवार, अक्तूबर 16, 2011

जस्सी दी ग्रेट 18



जो उनके लिये सबसे बङी राहत थी । दरअसल वही प्रसून के लिये सबसे बङी आफ़त थी ।
वह चाह रहा था कि बाधा हो, और फ़ुल्ली अटैक हो, जो वह उसका कोई सिरा सूत्र पकङ सके । अगर वह वीडियो क्लिप ना होते, तो खुद वह मानने को तैयार नहीं होता कि जस्सी किसी गम्भीर भाव से पीङित है । यह बाधा उसके आने से क्यों नहीं हो रही थी, यह बात भी वह भली प्रकार जानता था । दरअसल उसके ध्यानी शरीर से निकलने वाली योग तरंगे ऐसे किसी बाह्य तरंग को पहुँचने से पहले ही नष्ट कर देती थी ।
इसलिये अब तक बस वह इतने ही निर्णय पर पहुँचा था कि ये किसी तरह की सामान्य प्रेतबाधा नहीं थी, नींद में चलने का रोग भी नहीं था । उसके दिमाग में किसी तरह की कोई ऐसी मेमोरी भी उसे नहीं मिली थी, जो ऐसे अटैक का कारण हो सकती थी ।
और तब बहुत बार सोचने के बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुँचा था कि जस्सी के ‘कारण शरीर’ में कोई ऐसा संस्कार जमा है, जो उसके पूर्वजन्म से सम्बन्धित है । और जब वह किसी विशेष बिन्दु पर पहुँचकर उस संस्कार से जुङती है । तब उसके साथ वो चक्रवाती घटना घटित होती है ।
और वो विशेष बिन्दु कुछ भी हो सकता है । उसी तरह का कोई दृश्य, कोई सोच, कोई चीज, कोई भावना, कोई इंसान आदि कुछ भी ।
ये पेशेंट की तरफ़ का एक पक्ष था, और इसमें कोई चिन्ता जैसी बात कम से कम उसके लिये नहीं थी । वह थोङे प्रयास से योग द्वारा जस्सी को उस ‘कारण संस्कार’ से जोङकर उस कारण को ही जला देता, और जस्सी हमेशा के लिये मुक्त होकर ठीक हो जाती ।
और तब उसे इसके दूसरे पक्ष, दूसरी संभावना का ख्याल आया, और उसके बारे में सोचते ही वह काँप गया । अगर वह बात थी, तो सिर्फ़ खतरनाक ही नहीं, बेहद खतरनाक थी । कम से कम इतनी खतरनाक कि उसे भी एक युद्ध सा लङना पङता, और उस युद्ध का अंजाम कुछ भी हो सकता है । स्वयँ उसकी मौत, या फ़िर जस्सी की भी ।
उसने ड्राइव करते हुये बगल में बैठी उस अप्सरा को देखा । जो ऐसी किसी भी सोच से बेपरवाह सी अधमुँदी आँखों से कहीं खोयी हुयी थी । और तब ही प्रसून को पहली बार अहसास हुआ कि उसने किसी प्रेमिका की भांति अपना सिर उसके कन्धे से टिका रखा था । वह उससे एकदम सटकर बैठी थी और उसका मरमरी गोरा हाथ उसकी गोद में रखा हुआ था । कमाल था, वह अपनी भावनाओं में इस कदर खो गया था कि उसे एक जवानी की गरमाहट भी महसूस नहीं हुयी थी ।
सङक पर काफ़ी अंधेरा फ़ैल गया था ।
और वह जैसे बिना किसी उद्देश्य के जस्सी के साथ ड्राइव पर था । बराङ दम्पत्ति ने उसके जेंटलमेनी नेचर, और उससे जस्सी की शादी की कल्पना करके उसे खुली छूट दे रखी थी । और स्वयं जस्सी भी किसी प्रेमिका की भांति अधिकतर उसके आसपास ही रहती थी । बस दोनों की सोच में भिन्नता थी । प्रसून उस अज्ञात रहस्य की खोज में उसके नजदीक था । जबकि जस्सी और बराङ दम्पत्ति उसे लङका लङकी का प्रेम आकर्षण समझते हुये मुग्ध हो रहे थे ।
उसका ध्यान फ़िर से दूसरे पक्ष पर गया । और वो दूसरा पक्ष ये था कि किसी अज्ञात भूमि से यह संस्कार आ रहा हो । जिसमें कनेक्टविटी उल्टी यानी उधर से होती हो, और ऐसा सम्पर्क होते ही जस्सी के साथ वह चक्रवाती घटना होती हो । और शायद इसीलिये उसके पास इसका कोई रिकार्ड नहीं था ।
और तब ये दिमाग की मेमोरी का मामला नहीं था । बल्कि यह किसी ऊँचे नीचे लोक से जुङा मामला था, जो करोंङों इंसानी ग्रन्थियों में से किसी एक से जुङता हो । तब ये बहुत कठिन बात थी, और यही वो बात भी थी कि प्रसून की पूरी पूरी दिलचस्पी इस केस में थी ।
जब किसी जीवित इंसान को कहीं अज्ञात भूमि में बैठा हुआ कोई शख्स प्रभावित कर रहा हो । वह क्यों प्रभावित कर रहा है, क्या चाहता है, उसके इरादे क्या हैं? ऐसे अनेक प्रश्न उसके दिमाग में तैर रहे थे । और इसके लिये उसे फ़िर से एक बार सूदूर अंतरिक्ष के किसी अज्ञात से लोक में जाना पङ सकता था । पर कहाँ, ये अभी उसे खुद भी पता नहीं था ।


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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।