रविवार, अक्तूबर 16, 2011

जस्सी दी ग्रेट 14



जस्सी की सांसें बेहद तेज थी, और उसके मुँह से हूँ हूँ हूँ की बहुत हल्की आवाज निकल रही थी । तब उसने जस्सी के होठों को अपने होठों में दबा लिया, और उसके उरोजों पर सहलाने लगा ।
गगन तो मानों भौचक्का ही रह गयी । उसके सारे बदन में चीटियाँ सी रेंगने लगी, और स्वाभाविक ही वह अगले पल जस्सी और अपने साथ प्रसून के अभिसार की कल्पना करने लगी ।
पर वह बेहद हैरान थी । बीस मिनट से ऊपर होने जा रहे थे, और प्रसून उसी तरह जस्सी के होठों से लगा था । जस्सी तङप कर उससे एकाकार होने को बेताब हो रही थी । पर ये उसे भी दिखाई नहीं दे रहा था कि वास्तव में वह अपने होश में ही नहीं थी ।
और उस समय तो उसे बेहद ताज्जुब हुआ । जब प्रसून ने जस्सी को उठाकर कार की सीट पर लिटाया और उससे ‘गगन जी बैठिये प्लीज’ बोला । तब उसने यही सोचा था कि वह कार की सीट पर सेक्स करने वाला है पर उसके बैठते ही प्रसून ने गाङी स्टार्ट कर आगे बढ़ा दी ।
जस्सी पीछे बेहोश पङी थी, और गगन जानबूझकर आगे उसके पास बैठी थी कि शायद प्रसून उसके साथ भी वैसा ही कुछ करने वाला है । पर उसने एक सिगरेट सुलगा ली थी और आराम से सामने देखता हुआ ड्राइव कर रहा था । यहाँ तक कि झुँझलाकर गगन ने स्तन लगभग बाहर कर लिये और प्रसून से सटने लगी । पर वह जैसे वहाँ था ही नहीं ।
उसने कुछ झिझकते हुये से उसकी टांग पर हाथ रखा और वासना युक्त अन्दाज में टटोलने लगी, लेकिन उसे फ़िर भी कोई प्रतिक्रिया नजर नहीं आयी । तब उसने सोचा कि वह साइलेंट गेम का ख्वाहिशमन्द हो सकता है । अतः उसने अपनी शर्ट कन्धों से खिसका दी और प्रसून से चिपक गयी ।
वास्तविकता ये थी कि प्रसून अपनी पर्सनालिटी और योग मजबूरियों के चलते पहले भी कई बार ऐसी स्थितियों में फ़ँस चुका था । इस लङकी को कोपरेट करना उसके लिये आवश्यक था । तब वह जस्सी पर फ़ुल एक्सपेरीमेंट कर सकता था । क्योंकि इस लङकी का जस्सी के साथ होना उसे तमाम शकों से दूर रखता था । दूसरे ये जस्सी के बारे में वह सब बता सकती थी, जो शायद उसके माँ बाप या दूसरा कोई और नहीं बता सकता था ।
इसके साथ ही जस्सी को जिस अटकाव बिन्दु से पार कराने के लिये उसने अभी अभी लम्बा किस आदि किया था । उससे वह हल्की उत्तेजना भी महसूस कर रहा था । आखिर वह भी योगी से पहले एक इंसान था ।
उसके द्वारा कोई विरोध न करने पर चिकनवाली ने इसे उसकी मौन स्वीकृति समझा, और वह पूरी बेतकल्लुफ़ी से उसके बदन पर हाथ फ़िरा रही थी । उसकी सहूलियत के लिये प्रसून समकोण से अधिक कोण हो गया और उसने पैरों को फ़ैला लिया ।
गगन को जैसे विश्वास नहीं हो रहा था कि ये क्षण उसके साथ ही घट रहे हैं । पर उसे हैरत भी हो रही थी कि बीस मिनट से अधिक हो गये थे । प्रसून धीमी स्पीड में ड्राइव कर रहा था, पर न तो उसका घर ही आया था, और न ही प्रसून में कोई उत्तेजना पैदा हो रही थी ।
लेकिन उसे नहीं पता था, गाङी विपरीत दिशा में जा रही थी, और प्रसून समता भाव का प्रयोग दुहराता हुआ योग में स्थित था । गगन की हालत खराब होने लगी और वह सिसकती हुयी प्लीज प्रसून जी प्लीज करने लगी ।


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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।