बहुत संभव है कि कुछ पाठकों को मेरे ये दो उपन्यास ‘कामवासना’
और ‘जस्सी दी ग्रेट’ कुछ ज्यादा ही कामुक लगें। लेकिन इसके पीछे भी दरअसल एक
रहस्यमय कहानी है। और वो कहानी यह है कि प्रस्तुत उपन्यास ‘जस्सी दी ग्रेट’ एक
अनुरोधित कथानक है, और जिसके पात्र, तथा स्थान, तथा वहाँ तक की कहानी, जब तक कि प्रसून गुरूदासपुर (पंजाब) नही पहुँच जाता, मुझे बाकायदा मुख्य-मुख्य बिन्दुओं/घटनाओं के साथ किसी के
द्वारा उपलब्ध करायी गयी थी।
इसके पीछे क्या ख्वाहिश/उद्देश्य/भावना थी। ईमानदारी से मुझे
नहीं पता।
खैर..जो भी हो, लेकिन मेरी खुद की ऐसी कोई ख्वाहिश नही थी कि मैं किसी कथानक
में सामान्य से कुछ अधिक कामुकता का वर्णन करूँ। परन्तु फ़िर मैंने सोचा कि जीवन के
इस मुख्य अंग ‘कामवासना’ पर पाठकों की क्या प्रतिक्रिया रहती है। इसको जानने हेतु इस विषय को भी एक-दो उपन्यासों में खास स्थान देना चाहिये। और मैंने वह अनुरोध
स्वीकार कर लिया। इसलिये खास मेरे पाठकों को उतना वर्णन अजीब सा, और जैसे मेरे द्वारा लिखित नही लगेगा।
अब रही बात, कामुक वर्णन पर प्रतिक्रिया को लेकर, तो वह मिश्रित ही रही। किसी को ठीक, किसी को बहुत ठीक, और किसी को बिलकुल भी ठीक नहीं लगी। और अगर आप भी ईमानदारी से
स्वीकार करें, तो सेक्स के विषय को लेकर
कोई ईमानदार और स्पष्ट प्रतिक्रिया मिलने के अक्सर चांस भी नहीं हैं, क्योंकि जिसे बहुत मजा आया हो, वो भी प्रत्यक्ष में इंकार ही करेगा।
प्रसून सीरीज के हारर उपन्यासों की श्रंखला में लिखा गया यह
उपन्यास पंजाब की एक बेहद सुन्दर लङकी जसमीत कौर उर्फ़ जस्सी के पुनर्जन्म की प्रेम
कहानी है। युवावस्था के आरम्भ होते ही जस्सी को कुछ बेहद अजीब से अनुभव होते हैं।
लेकिन उसे अपने साथ हुये अनुभवों के बारे में कुछ याद नही रहता।
तब उसकी माँ राजवीर अपनी खास सहेली करमकौर से मशवरा करती है।
लेकिन अभी इस अजीबोगरीब गुत्थी का कोई हल निकल पाता। उससे पहले ही करमकौर को भी
ठीक वैसा ही अनुभव होता है। और मामला सुलझने के बजाय और ज्यादा उलझ जाता है।
और तब एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत उन्हें द्वैतयोगी प्रसून का
पता चलता है। राजवीर द्वारा मेल से भेजे गये जस्सी के बाधा (अटैक) वीडियो को देखते
ही प्रसून तुरन्त समझ जाता है कि मामला बेहद सीरियस है, और उसके चलते निर्दोष मासूम जस्सी की जिन्दगी खतरे में है।
बेहद खुशी की बात है कि प्रसून को पाठकों ने न सिर्फ़ पसन्द
बल्कि बेहद पसन्द किया । और उससे जुङे कारनामों का पाठकों को बेसबरी से इंतजार
रहता है । अतः जैसे जैसे सम्भव होगा । मैं इस तरह के कथानक आपको उपलब्ध कराने की
कोशिश करूँगा । लेकिन उपन्यास पढ़ने के बाद अपनी निष्पक्ष राय से अवगत कराना न
भूलियेगा।
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राजीव श्रेष्ठ
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