रविवार, अक्तूबर 16, 2011

जस्सी दी ग्रेट 6



दोपहर ग्यारह बजे ही राजवीर के घर आ गयी थी, और उसी समय वे लोग गाङी से निकल गये थे । बस तभी से उसके अंगों में बैचेनी सी समायी हुयी थी । जवानी के पहाङ की तरह खङा सतीश उसे भावना मात्र से द्रवित कर रहा था, पर पराये शहर और परायी जाति का बोध उस पर हावी था, और एक नौकर होने की हीनभावना भी उसे मर्यादा में रहने को विवश कर रही थी । और इस तरह करमकौर का वह बेशकीमती वक्त फ़िजूल जा सकता था, बल्कि जा ही रहा था ।
इसलिये उसने बखूबी समझ लिया था कि पहल उसे अपनी तरफ़ से ही करनी होगी । अतः उसने किसी न किसी बहाने से सतीश को अपने पास ही रखा, और किसी अभिसार इच्छुक प्रेमिका की भांति बारबार गोरे उरोजों की  झलक दिखाते हुये अपने कटाक्षों और वाणी से भरपूर उत्तेजित करती रही, और यही सोचती रही कि वह अब उसे बाहों में भरने ही वाला है ।
पर सतीश जैसे किसी सीमा रेखा में कैद था, और उसे ललचायी नजरों से देखने के बाद भी कुछ कर नहीं पा रहा था । सुबह राजवीर का फ़ोन जाते ही करमकौर ने अपनी यह हसरत पूरी करने के बारे में सोच लिया था, और इसीलिये वह अपने घर से बिना बाथ के ही चली आयी थी ।
बारह बजे वह बाथरूम में थी, और सभी कपङे उतार चुकी थी, लेकिन अभी उसने बाथ लेना शुरू भी नहीं किया था कि तभी उसका बच्चा अचानक रोने लगा, और उसे संभालने के लिये तुरन्त सतीश आ गया । पर वह उससे चुप नहीं हो पा रहा था ।
तब करमकौर ने तुरन्त एक बङा टावल लपेटा, और बाहर आ गयी ।
सतीश उसको देखकर हैरान ही रह गया । सिर्फ़ एक टावल में करमकौर उसके सामने थी । अतः वह तेजी से पलटकर बाहर जाने को हुआ । पर करमकौर ने उसे ‘अभी रुक’ कहते हुये रोक दिया ।
वह चोर निगाहों से उसे देखने लगा । उसकी मोटी और चिकनी टांगें आधे से अधिक खुल रही थी और उसने थोङा सा टावल हटाकर अपना स्तन बाहर कर लिया था तथा बच्चे को दूध पिला रही थी ।
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बेबी भूखा था । वह उसकी तरफ़ देखती हुयी बोली - दूध पी लेगा, फ़िर तंग नहीं करेगा, और सुन तेरी मालकिन राजवीर है, करमकौर नहीं । तू मुझे भाभी बोल सकता है, आखिर परदेस में तुझे भी कोई अपना लगने वाला होना चाहिये न..वैसे तेरी शादी हुयी या नहीं?
सतीश ने झेंपते हुये ना में सिर हिलाया ।
कितनी अजीब बात थी । अपने एकान्त क्षणों में हमेशा वह जिस औरत के निर्वस्त्र बदन की कल्पना करता था । आज वह साक्षात ही लगभग निर्वस्त्र बैठी थी, और वह एकदम नर्वस हो रहा था ।
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फ़िर तू किसकी पप्पियां लेता है । वह शरारत से बोली - पप्पियां झप्पियां, कोई कुङी फ़िट की हुयी है क्या, या कोई प्रेमिका, या कोई मेरे जैसी भाभी भाभी वगैरह ।
उसने फ़िर से इंकार में सिर हिलाया ।
करमकौर उत्तेजित हो रही थी । अतः उसने बच्चे को दूसरे वक्ष से लगाने के बहाने टावल को थोङा और खुल जाने दिया । सतीश का दिल तेजी से धक धक करने लगा । एक लगभग आवरण रहित सम्पूर्ण नायिका उसके सामने थी ।


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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।