रविवार, अक्तूबर 16, 2011

जस्सी दी ग्रेट 13




- मैं..मैं इंटरनेशनल पर्सन ! वह उलझता हुआ सा बोला - ये क्या बोल रही हो आप, और ये राजीव जी कौन हैं?
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क्या? दोनों लगभग उछल ही पङीं, और उनके छक्के छूट गये - आप राजीव जी को नहीं जानते?
फ़िर यकायक उन दोनों को कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या बोलें, तब वह कुछ देर तक चुपचाप ही रहीं ।
- एक मिनट । फ़िर गगन दोबारा कुछ सोचती हुयी सी बोली - और मानसी और नीलेश को?
प्रसून कुछ देर सोचता सा रहा, मानों कुछ याद कर रहा हो, फ़िर वह बोला - नो, इनको भी नहीं.. यह नाम मैंने शायद पहली बार सुने हैं ।
अबकी बार तो वे दोनों हङबङा ही गयीं । तब अचानक गगन कौर को जैसे बहुत ही अक्ल की बात सूझी, और वह जस्सी को लेकर थोङी दूर हो गयी । फ़िर वह फ़ुसफ़ुसाकर बोली - ये सालिआ हंड्रेड परसेंट नकली है, ढोंगी है, फ़्राड है । अरे, राजीव जी की वजह से प्रसून को पूरा पंजाब जानता है, दुनियाँ जानती है, और ये बोल रहा है कि राजीव जी को नहीं जानता ।
हालांकि जस्सी को उसकी बात में दम लगा । पर वह इस हैंडसम से बहुत आकर्षित थी. और एक तरह से दिल ही दिल उस पर मर मिटी थी । इसलिये उसे गगन की ये बात उस टाइम बिलकुल अच्छी नहीं लगी ।
और वह भी फ़ुसफ़ुसाकर बोली - गगन, गगन तू अक्ल से काम ले । तूने कौन सा राजीव जी को देखा है । अभी तू खुद उनसे जाकर बोले कि आप प्रसून जी को जानते हैं, और वह बोलें..कौन प्रसून जी, उल्टा हो सकता है यह बात भी हो कि वह बोलें..कौन राजीव जी, डार्लिंग हमें इस घनचक्कर से क्या लेना है । तू जो सामने है उसको पकङ ना । 
जस्सी की ये बात जैसे सीधा गगन के दिल पर टकरायी ।
कोई भी हो सालिआ, इससे क्या लेना, बस उसका स्टेयरिंग घुमाना है । और फ़िर वो जवान है, हैण्डसम भी है । भाङ में जाये ये सीआईडी, कौन राजीव और कौन प्रसून ।
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अच्छा छोङिये । कुछ देर बाद जस्सी अपनी सुरीली आवाज में बोली आप यूपी से बिलांग करते हैं ।
- नो ! वह भावहीन स्वर में बोला - कर्नाटक बैंगलौर से, और मैं कीट वैज्ञानिक हूँ । पर उसके बजाय मनोविज्ञान में मेरी खास दिलचस्पी है । मैंने अपनी गर्लफ़्रेंड मार्था के साथ प्रेतों पर काफ़ी टाइम रिसर्च किया और इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि भूत प्रेत महज अंधविश्वास है । प्रेत के नाम पर मैंने आज तक एक चुहिया भी नहीं देखी ।
क्या आप लोगों को अभी तक ऐसा कोई एक्सपीरियेंस हुआ है? हुआ हो, तो प्लीज..प्लीज मुझे बताईये । प्लीज..याद करने की कोशिश करो । यदि कुछ भी..प्रेत के नाम पर एक मच्छर भी साबित हो जाय, तो मेरा रिसर्च से जुङा बहुत बङा काम हो जायेगा । फ़िर मार्था मुझे कम से कम दो नाइट के लिये एंजाय करायेगी, और मैं ऐसा चाहता भी हूँ ।
दोनों हसीनाओं के पास मानों शब्द ही शेष नहीं थे, जो वे कुछ कह पाती । उन्हें ऐसा लग रहा था कि मानों उनका मूड ही खराब हो गया हो, और उन्हें शून्य में सिर्फ़ प्रसून के शब्द सुनाई दे रहे थे - प्लीज..प्लीज..प्लीज ।
जस्सी की निगाह दूर टिमटिमाते बल्ब पर गयी ।


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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।