रविवार, अक्तूबर 16, 2011

जस्सी दी ग्रेट 4




- राजवीर ! अचानक करमकौर ने फ़िर से टोका - अभी अभी तूने कहा कि तूने उसका और भी  रहस्यमय व्यवहार नोट किया, वो क्या था?
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हाँ, वो ये..कि वो अक्सर रात को कभी कभी उठ जाती थी, और कभी भी उठ जाती थी । फ़िर खिङकी के पास खङे होकर उसके पार ऐसे देखती थी, जैसे मानों किसी दूसरी दुनियाँ को देख रही हो, और खिङकी के एकदम पार, कोई दूसरा लोक, कोई दूसरी धरती उसे नजर आ रही हो ।
उसके चेहरे के भाव भी ऐसे बदलते थे कि जैसे वह लगातार कुछ दिलचस्प सा देख रही हो । इसके  अलावा भी मैंने उसे खङे खङे दीवाल पर, या यूँ ही खाली जगह में किसी काल्पनिक बेस पर कुछ लिखते सा भी देखा.. लेकिन अब इससे भी ज्यादा चौंकने वाली बात तुझे बताती हूँ ।
एक दिन जब ये सब देखना मेरी बरदाश्त के बाहर हो गया तो मैंने अपना जागना शो करते हुये आहट की, पर उस पर कोई असर नहीं हुआ । मैं भौंचक्का रह गयी, और तब डायरेक्ट मैंने उसको आवाज ही दी । और करमा ताज्जुब..उस पर फ़िर भी कोई असर नहीं हुआ । अब तो मैं चीख ही पङना चाहती थी, पर फ़िर भी मैंने खुद को कंट्रोल करते हुये, उसे ‘जस्सी जस्सी मेरी बेटी’ कहते हुये झंझोङ ही दिया ।
और करम..उस पर फ़िर भी कोई असर नहीं हुआ बल्कि उसका रियेक्शन ऐसा था कि जैसे किसी पुतले को हिलाया गया हो, और तब मेरे छक्के ही छूट गये । फ़िर करमा जैसे ही मैंने उसे छोङा, वह फ़िर से लुढ़क गयी ।
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ओ माय गाड ! करमकौर के माथे पर पसीना छलछला आया - ओ माय..गाड..यकीन नहीं होता, और लगता ही नहीं कि ये सब सच है । तूने बराङ साहब को नहीं बोला, ये सब?
राजवीर के चेहरे पर वितृष्णा के भाव आये । उसने सूखी भावहीन आँखों से करमकौर को देखा । तब वह जैसे सब कुछ समझ गयी के अंदाज में सिर हिलाने लगी ।
- खैर ! राजवीर आगे बोली - रहस्य अभी भी खत्म नहीं हुआ, और अब मुझे और भी अजीब सा इसलिये लग रहा था, क्योंकि दिन में उसका व्यवहार एकदम नार्मल होता था, और लगता था जैसे कोई बात ही न हो । वह चंचल तितली की तरह इधर उधर उङती रहती थी, और अपनी पढ़ाई वगैरह कायदे से करती थी । इसलिये ये मेरे लिये और भी रहस्य था कि उसके रात के व्यवहार का दिन पर कोई असर नजर नहीं आता था ।
देख करमा ! वह भावुक स्वर में बोली - तू मेरी सबसे खास सहेली है, और तुझसे मेरी कोई बात छिपी नहीं । इतना क्लियरली ये सब मैंने सबसे पहले तुझे, और अभी अभी ही बताया है । ये जवान लङकी का मामला है, और बराङ साहब को मैं इस मामले में बेवकूफ़ ही समझती हूँ । एक तो वह बन्दा नास्तिक है, और दूसरे ऐसी बातों का बिना सोचे समझे मजाक उङाता है ।
पहले बोल देता है और बाद में सोचता है कि अरे ये उसने क्या बोल दिया । दूसरे वह दारू के नशे में किसी को क्या कुछ बोल दे, इसलिये मैं पहले सभी बात पर खुद विचार करना चाहती थी । फ़िर जब मुझे लगा कि ये मामला सोचना समझना मेरी समझ से बाहर है, तब मैंने तुझे बुलाया । बोल बहन, मैंने कुछ गलत किया क्या?
करमकौर ने भारी सहानुभूति जताते हुये पूर्ण हमदर्दी से उसके समर्थन में सिर हिलाया ।
राजवीर आशा भरी नजरों से उसे देखने लगी कि शायद वह रास्ता दिखाने वाली कोई बात बोले ।
पर उल्टे वह भी गहरे सोच में डूब गयी लगती थी, जैसे मानों उसकी समझ में कुछ भी न आ रहा हो  कि ये चक्कर घनचक्कर क्या है ।
यहाँ तक कि उसका बच्चा दूध पीते पीते कब का सो गया था और उसका स्तन ज्यों का त्यों खुला था । राजवीर की बात सुनते सुनते वह जैसे किसी अदृश्य लोक में जा पहुँची थी ।
तभी किसी के आने की आहट हुयी ।
जस्सी कालेज से लौटी थी, और यकायक हङबङाहट में जिस समय करमकौर अपना स्तन अन्दर कर रही थी । जस्सी वहाँ आयी । उसने मुस्कराकर करमकौर को देखा और अपने कमरे में चली गयी ।


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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।