रविवार, दिसंबर 18, 2011

महातांत्रिक और मृत्युदीप 8



- जोगी । अचानक वह सख्त होकर निर्णायक स्वर में बोली - याद रख, भगवान भी कुछ है । वह दूर, आसमान पर बैठा हुआ भी, चींटी तक की फ़रियाद सुनता है । उसके न्याय में देर है, पर अंधेर नहीं । तूने साधुता का अपमान किया है । इसलिये अब भी संभल जा, फ़िर पछताये होत का, जब चिङिया चुग गयी खेत ।
हे ऊपर वाले । फिर वह आसमान की ओर हाथ उठाकर बोली - हे सच्चे शहंशाह, मेरी फ़रियाद कबूल कर । इस बाबा की वजह से मेरा घर उजङ गया, तू इसको जिन्दगी से उजाङ दे । अगर तू सच्चा है, निर्बलों का बल है, तो फ़िर आसमान पर बैठा मत रह । मुझ दुखियारी के लिये नीचे आ, और.. तुझे आना ही होगा ।
जोगी अन्दर तक हिल गया ।
उसने गहरे असंजस में आसमान की ओर सिर उठाकर देखा ।
-------------------

आसमान में तेज गङगङाहट होने लगी ।
और कुछ ही पलों में ऊँचाई पर एक हैलीकाप्टर हवा में आकर ठहर गया ।
हैलीकाप्टर से एक रस्सा नीचे फ़ेंका गया ।
और फ़िर दो साये उस रस्से पर झूलते हुये से नीचे आने लगे ।
कुछ ही मिनटों में वे जमीन पर उतर गये ।
हैलीकाप्टर वापस मुङा, और दूर जाता हुआ आसमान के अँधेरे में खो गया ।
उतरने वालों में एक जवान युवक और युवती थे ।
उन्होंने अपने कन्धे से बैग उतार कर फ़ेंक दिये ।
और लगभग अँधेरे से घिरे उस स्थान पर मौजूद टार्च की सहायता से इधर उधर देखा ।
- वाह । युवती खुशी से उछल कर अंग्रेजी में बोली - कितनी सुन्दर जगह है ।
युवक ने उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया ।
उसने एक सिगरेट सुलगाई, और गम्भीरता से कश लगाने लगा ।
तभी दूर से आती हुयी वाहनों की हैडलाइट उन्हें नजर आयी ।


अमेजोन किंडले पर उपलब्ध
available on kindle amazon


कोई टिप्पणी नहीं:

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।