रविवार, दिसंबर 18, 2011

महातांत्रिक और मृत्युदीप 10


प्रेत !
क्या यहाँ वाकई प्रेत हो सकते हैं?
प्रेतवासा जैसा कोई अनुभव अभी तक तो उसे नहीं हुआ था ।
और उसकी नजर में ये अच्छा ही था । वह लिली को दो तीन दिन घुमाता, और उसके दिमाग का फ़ितूर शान्त करके वापिस अमेरिका भेज देता ।
- लिली । फ़िर वह कुछ सोचता हुआ बोला - तुम वाकई खुशकिस्मत हो, जो तुमने न सिर्फ़ प्रेत को महसूस किया, बल्कि उसे देखा भी । इनफ़ेक्ट, कभी मैं भी इस खोज के प्रति बहुत उत्सुक था, पर अफ़सोस, अभी तक प्रेत के नाम पर, मैंने हाथी का बच्चा तो दूर, चींटी का बेबी भी नहीं देखा । कैसा था वो प्रेत, जो तुमने देखा ?
- तुम्हारे जैसा । वह सपाट स्वर में बोली - सच कहती हूँ, बिलकुल तुम्हारे जैसा । साला एकदम मुर्दा, मानवीय भावनाओं से रहित । और सुनिये मिस्टर प्रसून, मैं कतई खुशकिस्मत नहीं हूँ, बल्कि बहुत ही अनलकी हूँ । वो भी ओनली, एण्ड अगेन ओनली, तुम्हारी वजह से । न न, चौंकों मत श्रीमान, अब तक अपनी जिन्दगी में आये प्रवेश के इच्छुक हजारों पुरुषों को मैंने देखना भी उचित नहीं समझा । अमेरिकन और हालीवुड संस्कृति में शायद मैं ऐसी एकमात्र लङकी हूँ । जिसे इस आयु तक एक स्वीट किस का भी अनुभव नहीं, फ़िर कौमार्यता की बात तो जाने ही दो ।
दरअसल खुद मुझे भी, मेरे लिये अज्ञात वजह से, मैं पुरुषों से घोर नफ़रत करती हूँ । हमेशा मेरा दिल करता है कि उन्हें एक क्यू में खङा करके गोलियों से भून दूँ । तुम विश्वास नहीं करोगे कि इसी इच्छा पूर्ति के लिये मैंने चाइनीज जेलों में नौकरी हेतु एप्लाई किया था । बिकाज वहाँ मृत्युदण्ड प्राप्त अपराधियों को गन से शूट किया जाता है ।
- हे भगवान ! प्रसून जैसे थरथरा गया - शायद इसी को कहते हैं, खतरनाक सुन्दरी । वैसे प्लीज मुझे सच बताओ । अभी यहाँ तुम कोई गन वन तो नहीं लायीं ।
- फ़िक्र न करो । वह लापरवाही से बोली - वैपन हमेशा मेरे पास होता है, पर आपको कभी नहीं मार सकती मैं । बिकाज तुम मेरे सबसे बङे दुश्मन हो, और दुश्मन के मर जाने से जिन्दगी का रोमांच ही खत्म हो जाता है । मैं तुम्हें परास्त करके रहूँगी, ये मेरी जिन्दगी का एक मुख्य उद्देश्य है ।
हाँ, मैं तुम्हें मार के ही मानूँगी । पर किसी बुलेट के इस्तेमाल से नहीं, बल्कि अँखियों की गोली से, यौवन से, अदाओं से, और.. और अगर मैं हार गयी, तो ये पूरी स्त्री जाति की हार होगी ।
अपने तीन साल के तुम्हारे साथ सम्पर्क में मैंने ऐसा अदभुत इंसान जिन्दगी में नहीं देखा, जिसकी मुझमें जरा सी भी कोई दिलचस्पी नहीं जागी । आखिर तुम अपने आपको समझते क्या हो यू...यू..डफ़र रास्कल?
वह एकदम आश्चर्यचकित रह गया ।
क्या छुपा था इस लङकी के दिल में उसके प्रति । वो भी बिना वजह ।
शायद इसी को कहते हैं - आ बैल मुझे मार ।
ओह गाड ! अपनी किसी मनोग्रन्थि के चलते ये साइलेंट मर्डर भी कर सकती थी ।
वह सच में उत्तेजित थी, तमतमा रही थी, और निसंदेह सामान्य हालत में नहीं थी ।
अच्छा हुआ उसने अपने उदगार जता दिये थे ।
अब वह सचेत रह सकेगा ।


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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।