रविवार, अक्तूबर 16, 2011

जस्सी दी ग्रेट 19




प्रसून के दिलोदिमाग में इस अंधेरे को लेकर बारबार एक ही बात आ रही थी कि जस्सी को ज्यादातर अटैक रात, यानी अंधेरे में ही होते थे, और स्वयँ उसके सामने वाला अटैक भी अंधेरे में ही हुआ था । या कहना चाहिये कि उसकी बहुतेरी कोशिश से किसी तुक्के के समान तीर निशाने पर जा लगा था । बस उसी तुक्के की उसे दोबारा तलाश थी ।
वो प्वाइंट, जिससे जस्सी अज्ञात भूमि से जुङती थी । वो सूत्र, वो सिरा, जो कहीं न कहीं उसे शायद उसके गुजरे अतीत से जोङ देता था । वो क्या था?
और तब उसे उस टार्जन लुक नाविक मछुआरे का ध्यान आया । जिसे जस्सी दरिया में डूबने से पहले पुकारती थी । क्या वह उसका पूर्वजन्म का प्रेमी था । क्या मन में सेक्स भावना उठने पर, उसे वह अटैक होता था । या प्रेमी की अचेतन में दबी याद की वजह से ।
प्रेमी !
एक तरह से अभी, वह भी उसका प्रेमी था । उसने गाङी साइड में लेकर रोक दी, और कार के स्टीरियो में कार से ही लेकर शकीरा की सीडी प्ले कर दी । बहुत हल्की आवाज में गूँजती शकीरा की मादक सेक्सी आवाज जस्सी के दिल में चाहत की हिलोरें सी पैदा करने लगी ।
प्रसून उसकी तरफ़ सरक आया और उसने सिगरेट सुलगा ली । ऐसा लग रहा था जैसे वह कुछ टाइम शान्ति से सुस्ताने के मूड में हो । उसने गाङी की सीट को भी पीछे सरका दिया था और फ़ैला दिया था । जस्सी को मानों ये भगवान ने वरदान दिया हो । वह उसकी गोद में लेट गयी और उसके हाथ अपने सीने पर रख लिये । प्रसून हौले हौले उसके उरोजों पर सहलाने लगा ।
वह ब्रा नहीं पहने थी । उसके रेशमी वस्त्र के ऊपर से फ़िसलन भरा सा हाथ जस्सी के बदन में काम-तरंगे तेजी से फ़ैला रहा था । एक समझदार प्रेमिका की भांति उसने शर्ट के दो बटन खोल दिये । तब उसका अभिप्राय समझकर प्रसून ने अन्दर हाथ डाल दिया ।
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आपको ! वह मादकता से भरपूर लरजते स्वर में बोली - अच्छे लगते हैं ।
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अगर न कहूँ । वह उसकी आँखों में झांकता हुआ बोला - तो यह एकदम झूठ होगा । नारी स्तन एक दूध पीते बच्चे से लेकर शक्तिशाली देवताओं को भी आकर्षित करते हैं और सर्वाधिक प्रिय होते हैं । ये एक सम्पूर्ण नारी का सौन्दर्य आधार है । खुद नारी इनको मनोहर रूप में पाकर स्वयँ को गौरवान्वित महसूस करती है । ये किसी नारी की खूबसूरती के सबसे महत्वपूर्ण बिन्दुओं में से एक हैं ।
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आप जादूगर हो प्रसून जी ! वह उसकी छाती पर हाथ फ़िराती हुयी बोली - आपकी बातों में जादू है, व्यक्तित्व में जादू है, आपकी निगाहों में जादू है, आप एक पूर्ण पुरुष हो । कोई भी लङकी आपको देखने के बाद सिर्फ़ आपको ही पाने की तमन्ना करेगी और वह अपने आपको आप पर कुरबान कर देगी । आपने मुझे इनके बारे में बताया कि सबकी पसन्द होते हैं..और वो?
प्रसून ने फ़ौरन अपनी मुस्कराहट को निकलने से रोका ।
एक लङका, एक लङकी । एक पुरुष, एक स्त्री । एक आदमी, एक औरत ।
जब अपनी तमाम सामाजिक बेङियों, मर्यादाओं को हटाकर जवां तन्हाई के एकान्तमय सामीप्य में होते हैं । तब वे सिर्फ़ प्रेमी होते हैं और इसके अलावा कुछ नहीं होते । उसके पूछते ही प्रसून को किसी विदेशी लेखक की यह महत्वपूर्ण सूक्ति याद हो आयी..यह कोई ऐसी चीज नहीं, जिसको यूज न करने से इस पर सोने की फ़सल उगने लगेगी । पर वह अपनी शिष्टता के चलते इस पर कोई कमेंट नहीं कर पाया ।
जस्सी की बङी बङी आँखों में चाहत भरे मौन आमन्त्रण के साथ हल्की सी शरारत चंचलता झलक रही थी । जैसे ही प्रसून का हाथ सामान्य होकर उसके शरीर से अलग ठहर जाता । वह फ़िर से उसे थामकर अपने सीने से लगा लेती ।
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मुझे ये वो का तो पता नहीं । वह उसके रेशमी बालों में उँगलिया घुमाता हुआ बोला - पर ये सच है कि तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, और सच में तुम हो भी बहुत अच्छी..एक पूर्ण प्रेमिका ।
जस्सी फ़ौरन उठकर बैठ गयी । उसके अधरों मे तेज कंपकंपाहट हो रही थी । उसका सारा शरीर कंपित सा हो रहा था । तेज भावावेश में उसने अपने होंठ प्रसून के होठों से चिपका दिये ।
बस यही तो वह योगी चाहता था । उसका अब तक का सारा प्रयास इसी के लिये था । उसकी तरफ़ से कामगति का बहना । यही बात, यही पहल, वो अपनी तरफ़ से भी कर सकता था । पर वो कामगति की विपरीत धारा होती । तब वह सिर्फ़ समर्पण की मुद्रा में हो जाती । जबकि बहाव उसकी तरफ़ से ही होना जरूरी था ।
क्रिया एक ही थी । खेल एक ही था । पात्र भी एक ही थे । पर घटना में बहुत अन्तर था । उसके परिणामों में बहुत अन्तर था ।


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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।