रविवार, अक्तूबर 16, 2011

जस्सी दी ग्रेट 3



राजवीर उसकी तरफ़ देखती हुयी बोली - समझ नहीं आ रहा कि क्या कहूँ, और कैसे कहूँ, और कहाँ से कहूँ ।
करमकौर ने इसे हमेशा की तरह सेक्सी मजाक ही समझा, अतः वह बोली - कहीं से भी बोल, आग्गे से पीच्छे से, ऊप्पर से नीच्चे से ।
-
वो बात नहीं । राजवीर बोली - मैं वाकई सीरियस हूँ, और जस्सी को लेकर सीरियस हूँ । पिछले कुछ दिनों से, मैं कुछ अजीब सा देख रही हूँ, और अनुभव भी कर रही हूँ ।
करमकौर बात की नजाकत को समझते हुये तुरन्त सीरियस हो गयी, और प्रश्नात्मक निगाहों से राजवीर की तरफ़ देखने लगी ।
-
मैं ! राजवीर बोली - पिछले कुछ दिनों से, या लगभग बीस दिनों से जस्सी के पास ही सो रही हूँ । मैंने सोचा अगर वो वजह पूछेगी भी, तो मैं कुछ भी बहाना बोल दूँगी पर उसने ऐसा कुछ भी नहीं पूछा । तुझे मालूम ही है, मैं अक्सर ग्यारह बजे के बाद ही सोती हूँ, जबकि जस्सी दस से कुछ पहले ही सो जाती है ।
मनदीप का नशा ग्यारह के लगभग ही कुछ हल्का होता है, तब वह रोमांटिक मूड में होता है, और मुझे उन पलों का ही इंतजार रहता है, क्योंकि उस समय वह भूखे शेर के समान होता है । लिहाजा उसका ये रुटीन पता लगते ही मेरी बहुत सालों से ऐसी आदत सी बन गयी है ।
लगभग बीस दिन पहले, ऐसे ही एक दिन, जब मैं सोने से पहले बाथरूम जा रही थी, तब मैंने जस्सी को कमरे में टहलते हुये देखा । ऐसा लग रहा था कि जैसे वह बहुत धीरे धीरे किसी से मोबायल फ़ोन पर बात कर रही हो । मैंने सोचा, लङकी जवान हो चुकी है, शायद किसी ब्वाय फ़्रेंड से चुपके से बात कर रही हो । उस वक्त उसके कमरे की लाइट बन्द थी, और बाहर का बहुत ही मामूली प्रकाश कमरे में जा रहा था, फ़िर उसे गौर से देखते हुये मुझे इसे बात का ताज्जुब हुआ कि उसके हाथ में कोई मोबायल था ही नहीं ।
और करमा तू यकीन कर । वह उसके पीछे बनी खिङकी पर एक दृष्टि डालकर बोली - वह निश्चय ही किसी से बात कर रही थी, और ये मेरा भ्रम नहीं था..और ये एकाध मिनट की भी बात नहीं थी । मैं उसको लगभग बीस मिनट से देख रही थी, और सुन भी रही थी । पर उसकी बातचीत में मुझे बहुत ही हल्का हल्का हाँ..हूँ..ठीक .. जैसे शब्द ही मुश्किल से सुनाई दे रहे थे ।
करमकौर के चेहरे पर गहन आश्चर्य के भाव आये और खुद बखुद उसकी आँखे गोल गोल हो गयीं ।
तभी राजवीर का नौकर सतीश वहाँ आया । उसने एक चोर निगाह करमकौर के खुले वक्ष पर डाली, और राजवीर से बोला - मैं बाजार जा रहा हूँ, कुछ आना तो नहीं है?
राजवीर ने ना..ना में सिर हिलाया ।


अमेजोन किंडले पर उपलब्ध

available on kindle amazon


कोई टिप्पणी नहीं:

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।