दूसरे पङोसी
यानी कब्रिस्तान का मामला अलग था । वहाँ रात के समय भागदौङ और किसी के आपस में
झगङने जैसा अहसास उसे कई बार हुआ था । इसको इंसानी मामला जानकर और कोई चोर आदि का
भ्रम होने से कई बार लालटेन लेकर जब वह छत पर देखने पहुँचा, तो
वहाँ कोई नहीं था । अब इसके लिये टीकम सिंह एकदम क्लीयर नहीं था कि ये सच था,
या उसका वहम था । पर उसे लगता यही था कि यह सच था ।
उसके बारबार पहुँचने से एक पुरुष आवाज ने उससे कहा भी था - टीकम सिंह तुम अपने घर जाओ, और हमारे बीच में दखल न दो ।
उसके बारबार पहुँचने से एक पुरुष आवाज ने उससे कहा भी था - टीकम सिंह तुम अपने घर जाओ, और हमारे बीच में दखल न दो ।
पहली बार
टीकम सिंह के भय से रोंगटे खङे हो गये ।
वह उल्टे
पाँव लौट आया,
और फ़िर पूरी रात उसे नींद नहीं आयी । अब उसे भैंस वाले खंडहर मकान
में भी भय लगने लगा था । पर गरीब आदमी होने के कारण वह अपना निजी मकान छोङकर कहाँ
जाता, और कैसे जाता ।
- तुम्हारे बच्चे । प्रसून के मुँह से निकला ही था कि उसका मतलब समझ कर टीकम सिंह जल्दी से बोला - मालिक ने दिये ही नहीं । हम दो लोग ही रहते हैं वहाँ ।
- ओह, आई सी । प्रसून एक नयी सिगरेट सुलगाता हुआ बोला ।
- तुम्हारे बच्चे । प्रसून के मुँह से निकला ही था कि उसका मतलब समझ कर टीकम सिंह जल्दी से बोला - मालिक ने दिये ही नहीं । हम दो लोग ही रहते हैं वहाँ ।
- ओह, आई सी । प्रसून एक नयी सिगरेट सुलगाता हुआ बोला ।
उसने सिगरेट
केस टीकम सिंह की तरफ़ बढ़ाया, तो बेहद झिझक से उसने एक सिगरेट निकाल ली
। प्रसून ने उसके मुँह से लगाते ही फ़क्क से लाइटर से सिगरेट जला दी । इससे वह और
झेंप सा गया ।
- कितने जिगर वाले हैं, दोनों मियाँ बीबी । प्रसून ने सोचा - जिस मकान में दिन में जाते हुये इंसान की रूह कांप जाय । उसमें आराम से रहते हैं ।
- कितने जिगर वाले हैं, दोनों मियाँ बीबी । प्रसून ने सोचा - जिस मकान में दिन में जाते हुये इंसान की रूह कांप जाय । उसमें आराम से रहते हैं ।
लेकिन फ़िर
उसे अपना ही विचार गलत लगा ।
क्योंकि ये
एक तरह का समझौता सा था,
और मजबूरी भी थी ।
तभी नौकरानी चाय बिस्किट आदि रखकर चली गयी ।
तभी नौकरानी चाय बिस्किट आदि रखकर चली गयी ।
प्रसून ने
टीकम सिंह से इशारा करते हुये कहा - चाय पियो भाई, और बताओ कि तुम्हारी खंडहर वाली चुङैल हीरोइन कौन कौन से गाने सुनाती है ।
टीकम सिंह ने झिझकते हुये ही कप उठाया, और सुङक सुङक करता हुआ बीच बीच में बताने लगा ।
टीकम सिंह ने झिझकते हुये ही कप उठाया, और सुङक सुङक करता हुआ बीच बीच में बताने लगा ।
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- टीकम
सिंह जी । प्रसून उसकी बात पूरी होने पर बोला - आपने गजनी
फ़िल्म देखी है । जिस तरह आमिर खान को थोङी थोङी देर में भूल जाने की बीमारी थी,
वैसी ही बीमारी मुझे भी है । इसलिये आपके घर चलने से पहले उसका एक
नक्शा बना लेते हैं । ताकि वापसी में मैं अपने घर का रास्ता ही न भूल जाऊँ ।
कहते हुये प्रसून ने एक सामान्य सी दिखने वाली प्लेन कापर मैटल शीट टेबल पर बिछा दी । जो वास्तव में दूरस्थ प्रेतबाधा उपचार हेतु एक शक्तिशाली यंत्र का काम करती थी ।
दरअसल वह टीकम सिंह को एक जादुई खेल दिखाने का इच्छुक था ।
कहते हुये प्रसून ने एक सामान्य सी दिखने वाली प्लेन कापर मैटल शीट टेबल पर बिछा दी । जो वास्तव में दूरस्थ प्रेतबाधा उपचार हेतु एक शक्तिशाली यंत्र का काम करती थी ।
दरअसल वह टीकम सिंह को एक जादुई खेल दिखाने का इच्छुक था ।
जिसके दो खास
कारण थे ।
एक तो आज वह
खुश मूड में था । दूसरे टीकम सिंह गरीब आदमी था ।
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