शुक्रवार, अप्रैल 22, 2011

चुङैल 3



- जेनी । प्रसून एक सिगरेट सुलगा कर बोला - तुमको चुङैल देखना मांगता । एक गाना गाने वाली चुङैल ।
जेनी हल्के से मुस्करा कर रह गयी ।
उसने ईसाईयों के अन्दाज में सीने पर दायें बाय़ें मस्तक और फ़िर हार्ट के पास उंगली रखकर क्रास बनाया, और शान्त बैठ गयी ।
जेनी ईसाई थी, और अल्ला उसकी पुत्री ।
वह प्रसून के यहाँ सर्वेंट के रूप में कार्य करती थी, और घर की पूरी देखभाल का जिम्मा उसी पर था । इस बात को कोई नहीं जानता था कि आठ सौ वर्ग गज में बनी यह खूबसूरत कोठी प्रसून की खुद की थी, और व्यक्तिगत रूप से थी । इस बेहद रहस्यमय इंसान के घर वाले तक यह बात नहीं जानते थे । और इसकी वजह थी, प्रसून द्वारा इसके बेहद पुख्ता गोपनीय इंतजाम, और ज्यादातर उसका यहाँ वहाँ रहना ।
कुछ खास परेशानी वाले लोगों को यदाकदा फ़ोन नम्बर मिल जाने पर उसने अपने दो चार ठिकानों पर बुला लिया था । जिससे कुछ लोग इन स्थानों के बारे में जान गये थे, और भटकते हुये आ ही जाते थे । ये सभी स्थान उसके पैत्रक निवास से बेहद बेहद दूरी पर थे । इसलिये प्रसून के माँ बाप भी इस रहस्य को अब तक नहीं जान पाये थे । उसके माता पिता के बारे में नीलेश उसकी गर्लफ़्रेंड मानसी और उसके गुरू तथा कालेज के टाइम के कुछ साथी ही जानते थे । नीलेश मानसी और गुरू के अलावा उसके खास रहस्यों को कोई भी नहीं जानता था ।
मानसी भी उसकी पर्सनल बातों को कम ही जानती थी ।
और प्रसून के लिये मानसी का कहना था - वेरी बोरिंग बट वेरी इंट्रेस्टिंग मैन, ऐसा भी आदमी किस काम का, जिसको बुलबुलों में रस न आता हो ।
अल्ला टेबल पर रखा प्रसून का सेलफ़ोन उठाकर गेम खेलने लगी ।
प्रसून ने एक गहरा कश लगाया, और सिगरेट ऐश-ट्रे में डाल दी ।
इसके बाद उसने सुनहरे रंग का मोटा मार्कर पेन उठाया, और मैटल शीट पर तीन आयत बनाता हुआ बोला - टीकम सिंह जी, ये बीच वाला आपका घर, और ये इधर गाने वाली चुङैल का खंडहर मकान, और ये इधर कब्रिस्तान । फ़िर ये आपके घर के दरवाजे से मेनरोड का रास्ता, और ये मेनरोड । और फ़िर ये मेनरोड से इस शहर का रोड, और इस रोड से, ये मेरे घर की सङक..। और वह फ़िर से एक आयत बनाता हुआ बोला - और इसके बाद, ये रहा मेरा घर । जिसमें हम लोग इस समय बैठे हैं ।
कहते हुये उसने खूबसूरत बंगले की शेप वाला एक नाइट लैम्प अपने घर के आयत चिह्न पर रख दिया, और अल्ला को गेम बन्द करने को कहकर उसने दूसरा मोबाइल फ़ोन निकाला, और उसे अभिमंत्रित सा करते हुये नाइट लैम्प के अन्दर रख दिया ।
फ़िर वह अल्ला से बोला - बेबी, अभी चुङैल का फ़ोन रिसीव करने का है ।
अल्ला हौले से मुस्कराई ।
मानो प्रसून ने सामान्य सी बात कही हो ।
मगर टीकम सिंह एकदम ही सतर्क होकर बैठ गया ।
कुछ ही क्षणों में पायल की मधुर रुनझुन रुनझुन सुनाई देने लगी ।
इस बेहद परिचित ध्वनि को सुनकर टीकम सिंह भौंचक्का सा सतर्क होकर बैठ गया ।
अल्ला की कंजी आँखें स्थिर हो गयी, और वे चमकती हुयी सी बंगले के माडल पर स्थिर हो गयी ।
- मैं आ गयी । अल्ला बदली हुयी आवाज में बेहद महीन झंकृत स्वर में बोली - आज्ञा दें, किसलिये याद किया?
- योर वेलकम कामिनी जी । प्रसून शालीनता से बोला - आपको आने में कोई परेशानी तो नहीं हुयी? ये आपके पङोसी टीकम सिंह जी यहाँ बैठे हुये हैं । इन्होंने बताया कि आप गाना बहुत अच्छा गाती हैं । मैं आपकी एक म्यूजिकल नाइट आर्गनाइज कराना चाहता हूँ ।
- नहीं । अल्ला फ़िर से बोली - मुझे कोई परेशानी नहीं हुयी, लेकिन योगीराज आप हँसी मजाक अच्छा कर लेते हैं ।


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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।