रविवार, अक्तूबर 16, 2011

जस्सी दी ग्रेट 15



- क्या? जस्सी एकदम उछलकर बोली - क्या सच में उसने मेरे साथ ऐसा किया था ।
उसके दरवाजे के समीप आ चुकी करमकौर के एकदम से कान खङे हो गये ।
शाम के चार बजे थे ।
वह राजवीर से मिलने आयी थी । पर सतीश से पता चला कि राजवीर बराङ साहब के साथ बाजार गयी हुयी थी । तब वह जस्सी के पास बैठने उसके कमरे की तरफ़ चली आयी थी । लेकिन कमरे में घुसने से पहले ही उसके कानों में गगन की आवाज पङी, और वह वहीं छुपकर सुनने लगी ।
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हाँ यार । गगन मगन सी होती हुयी बोली - पर तू भी ना, एकदम बेवकूफ़ ही है । एंजाय के टाइम सो जाती है, पता नहीं बेहोश हो जाती है, पता नहीं क्या हो जाता है तुझे । पूरा थर्टी मिनट उसने तुझे बिना ब्रेक किस किया, इधर का तो । उसने इशारा किया -  पूरा रस ही निचोङ दिया । ओह गाड, काश मुझे उस वक्त वह सब शूट करने की अक्ल आ गयी होती, क्या यादगार लम्हे थे ।
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फ़िर । अपनी बङी बङी हरी आँखें आश्चर्य से गोल गोल घुमाती हुयी जस्सी बोली - फ़िर..फ़िर क्या किया?
उन क्षणों को याद कर, रोमांचित सी हुयी गगन नमक मिर्च लगाकर उसे सब बताती चली गयी । खासतौर से उसकी पौरुष क्षमता, विशालता का उसने आदतानुसार अतिश्योक्ति वर्णन किया । जस्सी के सुन्दर चेहरे पर लज्जा और शर्म की लाली सी फ़ैल गयी, और अपने मधुर ख्यालों में वह अपने प्रेमी प्रियतम प्रसून के साथ किसी सुन्दर परी की तरह नीले अनन्त आकाश में उङती ही चली गयी ।
पर करमकौर पर इस आँखों देखे हाल सुनने का अलग ही असर हुआ । एक लस्टी पूर्ण पुरुष, और वह कामनाओं की भूखी एक औरत । स्वाभाविक ही उसने सोचा कि क्या प्रसून उसकी तरफ़ आकर्षित हो सकता है?
जरूर हो सकता है, वर्णन के अनुसार वह वाकई अनुभवी था, और ऐसे आदमी को तृप्त करना इन अनाङी लङकियों का वश नहीं था, जो इस खेल की सही ए बी सी डी भी नहीं जानती थी । उसको तृप्ति के चरम पर पहुँचाने के लिये करमकौर ही दमखम वाली थी, सेक्सी थी, अनुभवी थी, और हर तरह से पूरी औरत थी ।
फ़िर वह दबे पाँव हाल में पहुँची । जहाँ सोफ़े पर अधलेटा सा प्रसून टीवी देख रहा था । उस पर निगाह पङते ही करमकौर अन्दर से द्रवित सी होने लगी । क्या पर्सनालिटी थी लङके की, जैसे माइकल जैक्सन हेल्दी हो गया हो ।
करमकौर की आहट मिलते ही प्रसून उसकी तरफ़ आकर्षित होकर औपचारिक भाव से मुस्कराया । और बङी मधुरता से, शालीनता से संक्षिप्त में ‘बैठिये’ बोला ।
करमकौर को लगा कि इसके सामने बैठने मात्र से ही वह नियन्त्रण खो देगी । लङकियों से लाइव कमेंटरी सुनकर पहले ही उसका बुरा हाल था । उस पर प्रसून की मोहिनी मुस्कराहट और सम्मोहिनी दृष्टि से वह भावित होकर पानी पानी होने लगी । उसके अन्दर की पूर्ण औरत की मानों एक दृष्टि में ही धज्जियाँ उङ गयी ।
अब वह क्या चरित्र करे । अब तो वह सीधा सीधा कहना चाहती थी, प्लीज एक बार मुझे भी जिन्दगी में यह यादगार सुख दे दो । जन्म जन्म को तुम्हारी गुलाम हो जाऊँगी, तुम्हारे तलवे चाटूँगी ।


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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।