शनिवार, फ़रवरी 08, 2014

पिशाच का बदला 2



- वर्माजी । अचानक वह बोला - आपकी जिस पुत्रवधू पर प्रेत की छाया है । उसके पति का नाम क्या है?
- रामवीर वर्मा । साहिब सिंह ने असमंजस की हालत में उत्तर दिया - वह बिजली विभाग में है ।
लेकिन प्रसून जी, भगवान के लिये मुझे कुछ तो बताईये । क्योंकि मैं बेहद सस्पेंस महसूस कर रहा हूँ   
वर्माजी जो जानना चाह रहे थे । वह साधना के नियमों के विरुद्ध था, और अदृश्य जगत के किसी भी रहस्य को सम्बन्धित आदमी को बताना तो एकदम गलत था ।
इसलिये उसने वर्माजी से झूठ बोला, और कहा - अभी मैं खुद जानने की कोशिश कर रहा हूँ, तो आपको क्या बताऊं?
इस उत्तर पर वर्माजी असहाय से हो गये, और बैचेनी से पहलू बदलने लगे ।
लेकिन हकीकत कुछ और ही थी ।
डब्बू नाम के पुनर्जन्म लेने वाले बच्चे का माइंड रीड करके वह बहुत कुछ जान चुका था । हालांकि इस पुनर्जन्म हुये बालक को अभी तक न तो अपने पिछले जन्म की याद थी, और न ही उसने ऐसी कोई बात अभी तक कही थी । जैसा कि पुनर्जन्म लेने वाले बच्चे अक्सर कहते हैं ।
पर यह एक संयोग ही था कि वह अपने दादा के साथ मानसी विला आया, और प्रसून ने उसमें प्रेतत्व भाव महसूस किया, और फ़िर स्वाभाविक ही उसने उसका दिमाग रीड किया । और उसी के परिणामस्वरूप वह पहले फ़ार्म हाउस और अब नदी के किनारे खङा था ।
यानी वह स्थान, जहाँ से इस घटना की शुरूआत हुयी । यानी वह स्थान, जहाँ से नन्दू उर्फ़ नन्दलाल गौतम एक जीवन की यात्रा अधूरी छोङकर किसी बदले की खातिर साहिब सिंह वर्मा के घर उनका नाती बन के आया ।
नन्दू उर्फ़ पुनर्जन्म बालक डब्बू के दिमाग में दो घटनायें प्रमुखता से फ़ीड थी । एक तो उसका नदी में डूबकर मर जाना, और दूसरा उसकी बहन लक्ष्मी उर्फ़ लच्छो से कुछ लोगों द्वारा बलात्कार । लेकिन ये घटनायें पूरी स्पष्टता से नही थी, और वह डब्बू की छोटी उम्र को देखते हुये किसी तरह का प्रयोग उस पर नहीं कर सकता था । तब इसका सीधा सा मतलब यह था कि ये जानकारी वह रामवीर से ही हासिल करता । जो इस घटना में शामिल था, और तब आगे कोई निर्णय लेता ।
- ये जमीन । फ़िर वह खेतों की तरफ़ इशारा करके बोला - आपने हाल फ़िलहाल यानी लगभग तीन साल पहले ही खरीदी है । जो कि विवादित होने के कारण कोई ले नहीं पा रहा था, और आपने दबंग होने के कारण ले ली है । जबकि आपको सरकारी कानून की वजह से इसकी डबल रजिस्ट्री करानी पङी ।
- ओह माय गाड । साहिब सिंह के मुँह से स्वतः ही निकल गया - मैं तय नहीं कर पा रहा कि आपको क्या समझूँ, और आपसे क्या व्यवहार करूँ ।
- आप जमीन के बारे में कुछ बताईये ।
- ये जमीन । वर्माजी अजीब भाव से बोले - राजाराम गौतम की थी । राजाराम आज से नौ साल पहले स्वर्गवासी हो गया था । उसके बाद, उसके परिवार में उसकी पत्नी धनदेवी, बङा लङका नन्दू, जवान लङकी लक्ष्मी, और ग्यारह साल का छोटा लङका मुकेश रह गये थे ।
मुझे इस घटना की सच्चाई तो ठीक से नहीं मालूम । क्योंकि उस वक्त मैं गांव से बाहर था । लेकिन ऐसा कहा जाता है कि गांव के कुछ लोगों ने बाहर के लोगों के साथ लक्ष्मी से बलात्कार किया था । और इस घटना को लेकर नन्दू बदला लेने की ताक में रहने लगा था ।
लेकिन वह बेचारा कोई बदला ले पाता । इससे पहले ही नदी में नहाते हुये डूबकर मर गया । क्योंकि उसकी माँ धनदेवी के लिये गांव का माहौल खराब हो चुका था, और उस पर उसका बङा लङका असमय ही मर गया । इसलिये धनदेवी ये गांव छोङकर अपने दोनों बच्चों के साथ अपने भाई के गांव चली गयी ।
वह इस जमीन को बेचना चाहती थी । लेकिन कई दबंगों की नजर इस पर होने के कारण कोई ले नहीं पा रहा था । तब धनदेवी के भाई ने मुझसे सम्पर्क किया, और ये दस बीघा जमीन और वो महुआ आम का बगीचा मैंने उससे खरीद लिया । राजाराम और उसका परिवार बहुत ही भले थे । इसलिये उनके गांव से हमेशा के लिये चले जाने के कारण मुझे बहुत अफ़सोस हुआ ।
लेकिन प्रसून जी, आप यह सब कुछ क्यों पूछ रहे हैं । इसका रेशमा की परेशानी से क्या मतलब है । जिसके लिये मैं खासतौर पर आपको लाया हूँ ।
प्रसून ने एक निगाह डब्बू पर डाली, और बोला - चलिये, आपके घर चलते हैं ।


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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।