सोमवार, अगस्त 22, 2011

अंगिया वेताल 9



वह भूल ही गया कि किसलिये यहाँ आया है । वह भूल ही गया कि जिस आधी साधना को वह जाग्रत कर चुका है । उसे बीच में छोङने का परिणाम क्या होगा । वह भूल गया लपटा की वह चेतावनी ‘आँधी आये या तूफ़ान’ साधना बीच में छोङने का मतलब सिर्फ़ मौत ।
कारण कोई हो, मगर परिणाम एक ही, मौत ।
खिलखिलाती हुयी और सीने पर चढ़कर मारने वाली, खुद बुलायी मौत ।
वास्तव में इसीलिये कहा है, क्या देव, क्या दानव, क्या मनुष्य़, क्या अन्य कामवासना ने सबको मुठ्ठी में किया हुआ है फ़िर भला चोखा कैसे बचता ।
- हाँ भगत । रूपा किसी देवी के समान मधुर मुस्कान के साथ बोली - मैं तेरी चाहत में यहाँ तक भी खिंची चली आयी । यही चाहता था न तू ।
- मगर..तेरे घर के लोग..तू..मतलब..। वह अटक अटक कर बोला - इस समय यहाँ आ कैसे गयी ।
- भगत, वे सब सोये पङे हैं । जिस तरह इंसान सदियों से अज्ञान की मोहनिद्रा में सोया है । फ़िर तूने सुना नहीं है कि प्यार अँधा होता है भगत । फ़िर मैं तेरे सपनों की रानी हूँ । तू कल्पना में मुझे भोगता था, आज इस देवी ने तेरी सुन ली, और तेरी मनोकामना पूर्ण हुयी । आज तेरे ख्वाबों की मलिका तेरे सामने खङी है, आखिर कब तक मैं तेरा प्यार कबूल न करती ।
चोखा को कहीं न कहीं किसी गङबङ का किसी धोखे का अहसास हो रहा था ।
और वह एकदम किसी जादुई तरीके से आसमान से उतरी हुयी इस मेनका के रूपजाल से बचना भी चाहता था । पर जाने क्यों अपने आपको असमर्थ सा भी महसूस कर रहा था ।
उसकी छठी इन्द्रिय बारबार उसे खतरे का अहसास करा रही थी ।
पर जैसे ही वह रूपा को देखता, उसका दिमाग मानो शून्य हो जाता ।
- लेकिन..। वह हकलाता हुआ सा बोला - तुझे यहाँ आने में डर..
- भगत । रूप की नायिका फ़िर से खनकते हुये सम्मोहित करने वाले स्वर में बोली - इस अगर मगर किन्तु परन्तु में समय नष्ट न कर । मैं कह चुकी हूँ, प्यार अँधा होता है । वह अँजाम की परवाह नहीं करता । वह किसी बात की परवाह नहीं करता ।
- परन्तु..। न चाहते हुये फ़िर भी भगत के मुँह से निकल ही गया ।
और तब अपनी उपेक्षा से रूठकर मानो वह अनुपम सुन्दरी जाने को मुङी ।
भगत का कलेजा जैसे किसी ने काट डाला हो ।
- ठहरो रूपा । कहते हुये वह अपने राख आसन से उठ गया ।
उसने एक बेबसी की निगाह चिता पर रखी हंडिया पर डाली, और गले से माला उतार कर चिता पर फ़ेंक दी ।
चंडूलिका का काम हथियार फ़िर कामयाब रहा था । सफ़लता से चलती साधना सिद्धि खंडित हो चुकी थी ।

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मेरे बारे में

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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।