वह भूल ही गया कि
किसलिये यहाँ आया है । वह भूल ही गया कि जिस आधी साधना को वह जाग्रत कर चुका है ।
उसे बीच में छोङने का परिणाम क्या होगा । वह भूल गया लपटा की वह चेतावनी ‘आँधी आये
या तूफ़ान’ साधना बीच में छोङने का मतलब सिर्फ़ मौत ।
कारण कोई हो, मगर
परिणाम एक ही, मौत ।
खिलखिलाती हुयी और
सीने पर चढ़कर मारने वाली,
खुद बुलायी मौत ।
वास्तव में इसीलिये
कहा है,
क्या देव, क्या दानव, क्या
मनुष्य़, क्या अन्य कामवासना ने सबको मुठ्ठी में किया हुआ है
फ़िर भला चोखा कैसे बचता ।
- हाँ भगत । रूपा किसी देवी के समान मधुर मुस्कान के साथ बोली - मैं तेरी चाहत में यहाँ तक भी खिंची चली आयी । यही चाहता था न तू ।
- मगर..तेरे घर के लोग..तू..मतलब..। वह अटक अटक कर बोला - इस समय यहाँ आ कैसे गयी ।
- हाँ भगत । रूपा किसी देवी के समान मधुर मुस्कान के साथ बोली - मैं तेरी चाहत में यहाँ तक भी खिंची चली आयी । यही चाहता था न तू ।
- मगर..तेरे घर के लोग..तू..मतलब..। वह अटक अटक कर बोला - इस समय यहाँ आ कैसे गयी ।
- भगत, वे सब सोये पङे हैं । जिस तरह इंसान सदियों से अज्ञान की मोहनिद्रा में
सोया है । फ़िर तूने सुना नहीं है कि प्यार अँधा होता है भगत । फ़िर मैं तेरे
सपनों की रानी हूँ । तू कल्पना में मुझे भोगता था, आज इस
देवी ने तेरी सुन ली, और तेरी मनोकामना पूर्ण हुयी । आज तेरे
ख्वाबों की मलिका तेरे सामने खङी है, आखिर कब तक मैं तेरा
प्यार कबूल न करती ।
चोखा को कहीं न कहीं किसी गङबङ का किसी धोखे का अहसास हो रहा था ।
चोखा को कहीं न कहीं किसी गङबङ का किसी धोखे का अहसास हो रहा था ।
और वह एकदम किसी
जादुई तरीके से आसमान से उतरी हुयी इस मेनका के रूपजाल से बचना भी चाहता था । पर
जाने क्यों अपने आपको असमर्थ सा भी महसूस कर रहा था ।
उसकी छठी इन्द्रिय
बारबार उसे खतरे का अहसास करा रही थी ।
पर जैसे ही वह रूपा
को देखता,
उसका दिमाग मानो शून्य हो जाता ।
- लेकिन..। वह हकलाता हुआ सा बोला - तुझे यहाँ आने में डर..।
- भगत । रूप की नायिका फ़िर से खनकते हुये सम्मोहित करने वाले स्वर में बोली - इस अगर मगर किन्तु परन्तु में समय नष्ट न कर । मैं कह चुकी हूँ, प्यार अँधा होता है । वह अँजाम की परवाह नहीं करता । वह किसी बात की परवाह नहीं करता ।
- परन्तु..। न चाहते हुये फ़िर भी भगत के मुँह से निकल ही गया ।
और तब अपनी उपेक्षा से रूठकर मानो वह अनुपम सुन्दरी जाने को मुङी ।
- लेकिन..। वह हकलाता हुआ सा बोला - तुझे यहाँ आने में डर..।
- भगत । रूप की नायिका फ़िर से खनकते हुये सम्मोहित करने वाले स्वर में बोली - इस अगर मगर किन्तु परन्तु में समय नष्ट न कर । मैं कह चुकी हूँ, प्यार अँधा होता है । वह अँजाम की परवाह नहीं करता । वह किसी बात की परवाह नहीं करता ।
- परन्तु..। न चाहते हुये फ़िर भी भगत के मुँह से निकल ही गया ।
और तब अपनी उपेक्षा से रूठकर मानो वह अनुपम सुन्दरी जाने को मुङी ।
भगत का कलेजा जैसे
किसी ने काट डाला हो ।
- ठहरो रूपा । कहते हुये वह अपने राख आसन से उठ गया ।
- ठहरो रूपा । कहते हुये वह अपने राख आसन से उठ गया ।
उसने एक बेबसी की
निगाह चिता पर रखी हंडिया पर डाली, और गले से माला उतार कर चिता
पर फ़ेंक दी ।
चंडूलिका
का काम हथियार फ़िर कामयाब रहा था । सफ़लता से चलती साधना सिद्धि खंडित हो चुकी थी
।अमेजन किंडले पर उपलब्ध उपन्यास
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