सोमवार, अगस्त 22, 2011

अंगिया वेताल 8




यकायक ।
तभी मानो पंजामाली में बहार उतरी ।
छन छनछन छन की मधुर लय ताल के साथ एक अनिद्ध सर्वांग सुन्दरी ने वहाँ कदम रखा, और चहलकदमी सी करते हुये मानो शमशान का निरीक्षण करने लगी ।
सारी प्रेतनियाँ अपनी जगह स्तब्ध खङी रह गयी, और सब कुछ भूलकर बस इस अदभुत नायिका को देखने लगी । जो किसी परीलोक से परी की भांति अचानक उतर आयी हो ।
उसके जगमग जगमग करते सौन्दर्य से मानो अँधेरे में भी प्रकाश फ़ैल गया हो ।
शमशान जैसा स्थान भी स्वर्ग के उपवन में बदल गया हो ।
----------------

चोखा भगत आँखे बन्द किये तेजी से मन्त्र का जाप कर रहा था ।
किसी औरत के पायलों के नूपुर की मधुर छन छन छन उसे भी सुनायी दी थी ।
पर लपटा की चेतावनी को ध्यान रखता हुआ वह आँखे बन्द किये बैठा ही रहा, और सावधानी से मन्त्र का जाप करता रहा ।
प्रेतनियाँ उसकी साधना में विघ्न डालने की बात भूलकर उस दिव्य सुन्दरी को ही देखने लगी ।
छोटे प्रेतों के दिल में अपने जीवित होने के समय जैसी हिलोरे उठने लगी ।
सभी गण आपस में यही खुसर पुसर कर रहे थे कि - आखिर ये देवी जैसी कौन है । ये मनुष्य ही लग रही है । पर मनुष्य जैसे डरपोक प्राणी का इस समय शमशान में उपस्थित होना असंभव था । फ़िर आखिर ये कौन है ।
वह प्रेत समुदाय से नहीं थी, यह भी निश्चित ही था ।
लेकिन इन सबकी हालत से बेखबर पेङ की डाली से लटकी हुयी एक रहस्यमय शख्सियत बङे गौर से इस दिलचस्प नजारे को देख रही थी, और बेसब्री से आने वाले पलों का इंतजार कर रही थी ।
मगर इस सबसे बेपरवाह वह रूपसी धीरे धीरे चहलकदमी सी करती हुयी चोखा के आसपास चक्कर काटती रही । उसने उस मुर्दा ग्राउंड के चारों तरफ़ टहलते हुये कुछ चक्कर से लगाये, और फ़िर आकर ठीक चोखा के सामने खङी हो गयी ।
उसने किसी मुजरा नायिका की तरह पाँवों की ऐडी हिलाकर घुँघरू छनकाये, फ़िर हाथों की चूङियों को भी खनकाया ।
और बेहद सावधान सधे स्वर में बोली - चोखा भगत, आँखें खोल, देख मैं आ गयी ।
इस मधुर और धीमी झनकार युक्त आवाज ने भी चोखा को बिजली सा करेंट मारा ।
उसने हङबङाकर आँखें खोल दी । फ़िर मानो उसके होश ही उङ गये ।
- रूपा..तू । वह एकदम उछलते हुये बोला ।
वास्तव में उसके सामने रूपा ही खङी थी ।
इस धरती पर किसी गलती से शाप भोगने आयी जैसे मनुष्य रूपिणी अप्सरा ।


अमेजन किंडले पर उपलब्ध उपन्यास
available on kindle amazon

कोई टिप्पणी नहीं:

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।