रविवार, मई 30, 2010

नगरकालका



रेनू की उस डौल सी बच्ची का नाम डौली था। और रेनू उस बच्ची को लेकर ही परेशान थी।
दरअसल पिछले छह महीने से डौली एक अजीब सा व्यवहार करती थी। वह आम बच्चों की तरह खेलने कूदने के बजाय यन्त्रवत उस काली चिङिया को देखती रहती थी, जो हर समय उसके इर्द गिर्द ही रहती थी।
इसलिये रेनू एक तरह से उस रहस्यमय काली चिङिया से बेहद आतंकित थी। और उसने कई बार उस चिङिया को भगाने और मारने की भी कोशिश की थी, पर सफ़ल नहीं हो पायी थी। फ़िर किसी के कहने पर उसने एक-दो ओझा तांत्रिक से भी सम्पर्क करके इस समस्या से निजात पाने की कोशिश की थी।
लेकिन बाद में स्वयं रेनू को लगा कि ओझाओं के पास जाने से उसकी समस्या और भी खराब हो गयी थी। बच्ची पहले की अपेक्षा अधिक कमजोर और सुस्त रहने लगी थी।
फ़िर रेनू ने आसपास खोजी निगाहों से देखते हुये एक तरफ़ इशारा करते हुये बताया कि यही वो दुष्ट चिङिया है, जिसने मेरा जीना हराम कर रखा है। मेरी बच्ची कहीं भी क्यों न जाय, ये साये की तरह हमेशा साथ ही रहती है, जैसे कि अभी अभी यहाँ भी है।
कहते कहते उसकी बङी बङी काली आँखों से आँसू बहने लगे।
प्रसून ने रेनू से ध्यान हटाकर चिङिया को देखा।
चिङिया निकट के ही एक पेङ की डाल पर बैठी थी, और आमतौर पर जंगलों में पायी जाने वाली काली चिङिया की नस्ल की थी। 
डौली यन्त्रचालित सी चिङिया की तरफ़ घूम गयी थी, और उसे ही देख रही थी।
प्रसून ने एक कंकङ उछाल कर चिङिया की तरफ़ फ़ेंका, पर चिङिया अपने स्थान से हिली तक नहीं । निश्चय ही ये एक गम्भीर मामला था, और उसके गणित के अनुसार तो एक मासूम बच्चे की जिंदगी ही दाव पर लगी थी।
वो चिङिया दरअसल चिङिया थी ही नहीं, बल्कि किसी चिङिया के मृत पिण्ड को उपयोग करने वाली कोई प्रेतात्मा थी, और जिसका किसी प्रकार से रेनू या डौली से कोई भावनात्मक या बदला लेने का उद्देश्य लगता था।
अगर प्रसून पहले से ही मरी हुयी उस चिङिया को मार भी देता, तो क्या फ़र्क पङना था। प्रेतात्मा फ़िर किसी मृत पिंड का इस्तेमाल कर लेती, और समस्या ज्यों की त्यों ही रहती।
उसने उसी समय प्रेतात्मा से सम्पर्क की कोशिश की, पर सफ़लता नहीं मिली।
दुबारा अधिक प्रयास करने पर चिङिया थोङी सी विचलित लगी।
फ़िर उसने आसमान की तरफ़ चोंच उठाकर इस तरह खोली बन्द की।
मानो पानी की बूँद पी रही हो।
उसका ये पहले से बङा प्रयास भी विफ़ल हो गया।
- नगरकालका। उसके मुँह से स्वत ही निकला।
- क्या? रेनू अचकचा कर बोली।
- कुछ नहीं। प्लीज कुछ अपने बारे में, कुछ अपने पति के बारे में बताईये, और सब कुछ साफ़ साफ़ बताईये। कुछ भी छुपाने की चेष्टा ना करें।


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1 टिप्पणी:

Vinashaay sharma ने कहा…

डाली की भलाई के लिये,आपने अच्छा काम किया,वैसे मेने काल भैरव और माँ काली के अच्छे,अच्छे को किसी के शरीर पर अधिकार छोड़ते देखा है ।

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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।