सोमवार, सितंबर 19, 2011

तांत्रिक का बदला 6



आज तो उसे नींद ही नहीं आ रही थी, और वह एक अजीब सी बैचेनी महसूस कर रहा था ।
अतः वह चारपाई पर ही उठ कर बैठ गया, और बीङी सुलगाकर उसका कश लेते हुये दिमाग को संयत करने की कोशिश करने लगा । फ़िर उसने थोङी दूर स्थिति महुआ बगीची को देखा ।
बगीची के आसपास एकदम शान्ति छाई हुयी थी ।
रात के काले अँधेरे में सभी पेङ रहस्यमय प्रेत के समान शान्त खङे थे ।
वह उठकर टहलने लगा । रिवाल्वर उसने कमर में लगा ली, और बीङी का धुँआ छोङते हुये इधर उधर देखने लगा । तभी उसकी निगाह यमुना पारी शमशान की तरफ़ गयी, और वह बुरी तरह चौंक गया ।
नीम और शीशम के दो पेङों के बीच एक मँझले कद की औरत दो छोटे छोटे बच्चों के साथ घूम रही थी । अभी रात के लगभग बारह बजने वाले थे, और यह औरत अकेली यहाँ इन छोटे छोटे बच्चों के साथ क्या कर रही थी । जहाँ इस वक्त कोई आदमी भी अकेले में आता हुआ घबराता है ।
और यह ठीक वैसा ही दृश्य था, जैसे कोई औरत अपने खेलते हुये बच्चों की निगरानी कर रही हो । वह इसका पता लगाने के लिये वहाँ जाना चाहता था, पर उसकी हिम्मत न हुयी ।
वह कुछ देर तक उन्हें देखता रहा । फ़िर वे लोग अंधेरे में गायब हो गये ।
दो बच्चों के साथ इस रहस्यमय औरत ने उसे और भी भयानक सस्पेंस में डाल दिया था ।
क्या माजरा था, क्या रहस्य था?
उसकी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था ।
अब उसे भी टयूबबैल पर लेटते हुये भय लगने लगा ।
पर वह यह बात भला किससे और कैसे कहता । अतः उसे मजबूरी में लेटना पङता । लेकिन वह बिलकुल नहीं सो पाता था ।
वह काली नग्न औरत, और वह दो बच्चों वाली रहस्यमय औरत, उसे अक्सर दिखायी देते । परन्तु जाने किस अज्ञात भावना से यह बात वह अब तक किसी को भी न बता सका ।
इतना बताकर वह चुप हो गया, और आशा भरी नजरों से प्रसून को देखने लगा ।
पर उसे उसके चेहरे पर कोई खास भाव नजर नहीं आया ।
जबकि वह इस सम्बन्ध में सब कुछ जानने की आशा कर रहा था ।
तब उसने अपनी तरफ़ से ही पूछा ।
- कुछ खास नहीं । प्रसून लापरवाही से बोला - कभी कभी ऐसे भ्रम हो ही जाते हैं । जैसे तेज धूप में रेगिस्तान में पानी नजर आता है, पर होता नहीं है । जिन्दगी एक सपना ही तो है, और सपने में कुछ भी दिखाई दे सकता है, कुछ भी ।
महावीर उसके उत्तर से संतुष्ट नहीं हुआ, मगर आगे कुछ नहीं बोला ।


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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।