आज तो उसे नींद ही नहीं आ रही थी, और वह एक अजीब सी बैचेनी महसूस कर
रहा था ।
अतः वह चारपाई पर ही उठ कर बैठ गया, और बीङी सुलगाकर उसका कश लेते हुये
दिमाग को संयत करने की कोशिश करने लगा । फ़िर उसने थोङी दूर स्थिति महुआ बगीची को
देखा ।
बगीची के आसपास एकदम शान्ति छाई हुयी थी ।
रात के काले अँधेरे में सभी पेङ रहस्यमय प्रेत के
समान शान्त खङे थे ।
वह उठकर टहलने लगा । रिवाल्वर उसने कमर में लगा ली, और बीङी का धुँआ छोङते हुये इधर उधर देखने लगा । तभी उसकी निगाह यमुना पारी शमशान की तरफ़ गयी, और वह बुरी तरह चौंक गया ।
वह उठकर टहलने लगा । रिवाल्वर उसने कमर में लगा ली, और बीङी का धुँआ छोङते हुये इधर उधर देखने लगा । तभी उसकी निगाह यमुना पारी शमशान की तरफ़ गयी, और वह बुरी तरह चौंक गया ।
नीम और शीशम के दो पेङों
के बीच एक मँझले कद की औरत दो छोटे छोटे बच्चों के साथ घूम रही थी । अभी रात के
लगभग बारह बजने वाले थे, और यह औरत अकेली
यहाँ इन छोटे छोटे बच्चों के साथ क्या कर रही थी । जहाँ इस वक्त कोई आदमी भी अकेले
में आता हुआ घबराता है ।
और यह ठीक वैसा ही दृश्य था, जैसे कोई औरत अपने खेलते हुये बच्चों
की निगरानी कर रही हो । वह इसका पता लगाने के लिये वहाँ जाना चाहता था, पर उसकी हिम्मत न हुयी ।
वह कुछ देर तक उन्हें देखता रहा । फ़िर वे लोग अंधेरे
में गायब हो गये ।
दो बच्चों के साथ इस रहस्यमय औरत ने उसे और भी भयानक
सस्पेंस में डाल दिया था ।
क्या माजरा था, क्या रहस्य था?
उसकी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था ।
अब उसे भी टयूबबैल पर लेटते हुये भय लगने लगा ।
अब उसे भी टयूबबैल पर लेटते हुये भय लगने लगा ।
पर वह यह बात भला किससे और कैसे कहता । अतः उसे
मजबूरी में लेटना पङता । लेकिन वह बिलकुल नहीं सो पाता था ।
वह काली नग्न औरत, और वह दो बच्चों वाली रहस्यमय औरत, उसे
अक्सर दिखायी देते । परन्तु जाने किस अज्ञात भावना से यह बात वह अब तक किसी को भी
न बता सका ।
इतना बताकर वह चुप हो गया, और आशा भरी नजरों से प्रसून को देखने लगा ।
इतना बताकर वह चुप हो गया, और आशा भरी नजरों से प्रसून को देखने लगा ।
पर उसे उसके चेहरे पर कोई खास भाव नजर नहीं आया ।
जबकि वह इस सम्बन्ध में सब कुछ जानने की आशा कर रहा
था ।
तब उसने अपनी तरफ़ से ही पूछा ।
- कुछ खास नहीं । प्रसून लापरवाही से बोला - कभी कभी ऐसे भ्रम हो ही जाते हैं । जैसे तेज धूप में रेगिस्तान में पानी नजर आता है, पर होता नहीं है । जिन्दगी एक सपना ही तो है, और सपने में कुछ भी दिखाई दे सकता है, कुछ भी ।
महावीर उसके उत्तर से संतुष्ट नहीं हुआ, मगर आगे कुछ नहीं बोला ।
- कुछ खास नहीं । प्रसून लापरवाही से बोला - कभी कभी ऐसे भ्रम हो ही जाते हैं । जैसे तेज धूप में रेगिस्तान में पानी नजर आता है, पर होता नहीं है । जिन्दगी एक सपना ही तो है, और सपने में कुछ भी दिखाई दे सकता है, कुछ भी ।
महावीर उसके उत्तर से संतुष्ट नहीं हुआ, मगर आगे कुछ नहीं बोला ।
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