सोमवार, सितंबर 19, 2011

तांत्रिक का बदला 4



मेरा ख्याल है कि भूत-प्रेत जैसा कुछ नहीं होता, यह सब आदमी के दिमाग की उपज है, निरा भ्रम है, और किवदन्तियों से बन गयी महज एक कल्पना ही है । आपका क्या ख्याल है इस बारे में?
बरबस ही प्रसून की निगाह शमशान क्षेत्र के आसपास घूमते हुये रात्रिचर प्रेतों पर चली गयी, जहाँ कुछ छोटे प्रेतगणों का झुँड घूम रहा था ।
चिता का जलना अब समाप्ति पर आ पहुँचा था ।
उसने कलाई घङी पर निगाह डाली ।
दस बजने वाले थे ।
- सही हैं । फ़िर वह बोला - आपके विचार एकदम सही हैं, भूत प्रेत जैसा कुछ नहीं होता । यह आदमी की, आदमी द्वारा रोमांच पैदा करने को की गयी कल्पना भर ही है, अगर भूत होते ।.. वह फ़िर से प्रेतों को देखता हुआ बोला - तो कभी न कभी, किसी न किसी को, दिखाई तो देते । उनका कोई सबूत होता, कोई फ़ोटो होता, अन्य कैसा भी कुछ तो होता । जाहिर है, यह समाज में फ़ैला निरा अँधविश्वास ही है ।
महावीर किसी विजेता की तरह मुस्कराया ।
उसने प्रसून से बिना पूछे ही उसके सिगरेट केस से सिगरेट निकाली, और सुलगाता हुआ बोला - ये हुयी ना पढ़े लिखों वाली बात, वरना भारत के लोगों का बस चले, तो हर आदमी को भूत बता दें, और हर औरत को चुङैल । आपकी बात ने तो मानों मेरे सीने से बोझ ही उतार दिया, मेरा सारा डर ही खत्म कर दिया, सारा डर ही । मैं खामखाह कुछ अजीब से ख्यालों से डर रहा था ।
- कैसे ख्याल । प्रसून उत्सुकता से बोला - मैं कुछ समझा नहीं ।
- अ अरे व वो कुछ नहीं । महावीर लापरवाही से बोला - जैसे आपने किसी को मरते मारते देख लिया हो, और आपको ख्याल आने लगे कि कहीं ये बन्दा भूत सूत बनकर तो नहीं सतायेगा । हा हा हा..ऐसे ही फ़ालतू के ख्यालात, एकदम फ़ालतू बातें, दिमाग में अक्सर आ ही जाती हैं ।
प्रसून चुप ही रहा ।
उसने बची हुयी सिगरेट फ़ेंक दी, और उँगलियां चटकाने लगा ।
- लेकिन ! महावीर फ़िर से बोला लेकिन, आपकी बात से यह तो सिद्ध हुआ कि भूत प्रेत नहीं होते । परन्तु, फ़िर आजकल पिछले कुछ समय से जो मेरे साथ हो रहा है, वह क्या है, वह कौन है? प्रसून जी, आप जानना चाहोगे?
प्रसून ने आसमान में चमकते तारों को देखा ।
उसने अपने बालों में उँगलिया घुमाई, और फ़िर महावीर की तरफ़ देखने लगा ।
उसके देखने का आशय समझते ही महावीर के सामने जैसे गुजरा हुआ समय प्रत्यक्ष हो उठा ।


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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।