बहुत कम लोग इस अज्ञात तथ्य से
परिचित होंगे कि प्रथ्वी पर होने वाली सभी अकाल मृत्यु और स्वाभाविक मृत्यु के बाद
लगभग तीस प्रतिशत लोग ‘प्रेतगति’ को प्राप्त होते हैं। इसमें अकाल मृत्यु वालों का
दस से पन्द्रह प्रतिशत होता है, और लगभग पन्द्रह से बीस प्रतिशत ही स्वाभाविक मृत्यु से मरे लोगों का
होता है।
बीमारी, दुर्घटना, हत्या, टोना
आदि द्वारा अकाल मृत्यु को प्राप्त हुये लोग, अभी उनकी आयु
शेष रहने से, अपने सूक्ष्म शरीर में आयु का ठीका पूर्ण होने
तक भटकते रहते हैं। ये साधारण और अक्सर बङे प्रेतों से डर कर रहने वाले प्रेत होते
हैं।
लेकिन खासतौर पर स्वाभाविक मृत्यु मरे लोग अज्ञानतावश
उल्टे, सीधे, नीच, और अज्ञात देवी देव पूजने से प्रेतगति को
प्राप्त होते हैं। क्योंकि अनजाने में वे स्वयं ही अपना संस्कार उनसे जोङ देते
हैं। प्रायः ऐसे प्रेत पहले किस्म की अपेक्षा सबल होते हैं।
इसके अतिरिक्त एक तीसरी श्रेणी उन लोगों की भी होती
है, जो जानबूझ कर
प्रेत, मसान, जिन्न आदि को लालच हेतु
या शौकिया सिद्ध करते हैं, या अन्य तरीकों से उनकी सेवा करते
हैं, सम्पर्क में रहते हैं। ये भी अन्त समय प्रेतगति को ही
प्राप्त होते हैं। ये बङे और खतरनाक और ताकतवर प्रेत होते हैं।
इसके भी अलावा कुछ गलत ढंग से वामपंथी साधनायें करने
वाले, जिनमें शव साधना,
शमशान साधना, कापालिक आदि करने वाले भी अन्त
में ऐसी ही गति को प्राप्त होते हैं। इसी प्रकार की साधनाओं में एक ‘विशेष’ साधना
और है, जो अक्सर लोग भक्ति समझ कर करते हैं, और अधिकांश स्त्री पुरुष पूजा सोच कर करते हैं (किसी कारणवश इसको बताना
उचित नहीं) ये भी अन्त में इसी गति को प्राप्त होते हैं। और इनमें से बहु प्रतिशत
नीच देवों के गण बनते हैं।
मनुष्य जीवन जितना जीते जी महत्वपूर्ण है। उससे कहीं
ज्यादा मरने पर समस्यायें हैं। क्योंकि एक बार पंचतत्वों से बना ये भौतिक शरीर छूट
कर यदि अति दुखदायी और कष्टदायक प्रेतयोनि को प्राप्त हो जाता है, तो बङे लम्बे समय तक उस जीव को
अनेकानेक प्रकार के दारुण कष्टों को भोगना होता है। प्रस्तुत कहानी ऐसे ही कुछ
तथ्यों और स्थितियों का वर्णन करती है।
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- राजीव श्रेष्ठ
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3 टिप्पणियां:
रोचक , अगली कङीयोँ का इंतजार रहेगा ।
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रोचक कहानी,अगली कड़ी का इंतिजार है।
अगली कङीयोँ का इंतजार रहेगा .रोचक कहानी
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