रविवार, जुलाई 11, 2010

क्या है । तैतीस करोङ देवताओं का रहस्य..?

आपने देखा होगा । हिंदू धर्म का उपहास एक बात के लिये विशेष तौर पर किया जाता है । वह है । इस धर्म में तैतीस करोङ देवताओं की मान्यता होना । जिसको प्रायः अन्य धर्म वाले तैतीस करोङ भगवान भी कह देते हैं । हैरत की बात है । स्वयं बहुसंख्यक हिंदू ही इसे पाखंड या पोपलीला कहते हैं । मुझसे कुछ " पाठकों " ने पूछा भी है । कि क्या मैं तैतीस करोङ भगवानों की पूजा करता हूँ ? वास्तव में तैतीस
करोङ देवता हरेक धर्म में हैं ? कैसे ये आगे पढकर आपकी समझ में आ जायेगा । पहली बात तो यही समझिये कि भगवान और देवता में बहुत अन्तर होता है । देवता का अर्थ देने वाला है । यानी सरलता से समझने के लिये ये भगवान का वो कर्मचारी है । जिसके जिम्मे अपने विभाग को सुचार रूप से चलाना है । जैसे जल देवता । आपने किसी को जल भगवान कहते सुना है ? जैसे वायु देवता । कोई वायु भगवान
कहता है ? जैसे सूर्य देवता । यहाँ थोङा फ़र्क है । सूर्य क्योंकि बङा देवता है । इसलिये इसे शास्त्रों में तथा कई स्थानों पर रिषी मुनियों आदि ने भगवान कहा है । गायत्री उपासक भी इसको महत्व देते हैं । आपने एक चीज देखी होगी । बाजार आदि में जब कभी हमारा पाला पुलिस वाले से पङता है । तो दीवान । हवलदार कांस्टेबल से अक्सर बहुत से लोग " दरोगा जी " कह देते हैं । तो क्या वो दरोगा हो जाता है ? अब मैं उन लोगों से एक बात पूछता हूँ । जो तैतीस करोङ देवताओं का रोना रोते हैं । कहाँ होती है । तैतीस करोङ देवताओं या तैतीस करोङ भगवानों की पूजा ? आप जानते हैं । तैतीस करोङ देवता कौन से हैं ? तैतीस लाख ही बता दीजिये ? चलिये हवा खराब हो गयी । तो तैतीस हजार ही बता दीजिये ? वास्तविकता ये है । कि तैतीस देवता बताने में भी आपको पूरे अक्ल के पेच घुमाने पङेंगे ? लेकिन यह अकाटय सत्य है । कि तैतीस करोङ देवता हैं ? और केवल हिंदू नहीं मुसलमान सिख ईसाई अमेरिकन से लेकर चूहा बिल्ली और आदि मानव तक के तैतीस करोङ देवता हैं । लगता है । आपके दिमाग में परमाणु बम का विस्फ़ोट हो गया । जो भी जीव है । देहधारी है । उसका वास्ता तैतीस करोङ देवताओं से पङना ही पङना है । अब मान लो हिंदू तो तैतीस करोङ देवताओं के लिये रजिस्टर्ड हैं ही । मुसलमान या अन्य धर्म के लोग इनसे कैसे जुङते हैं । एक मोटा उदाहरण मैं आपको बताता हूँ । ज्यादातर लोग ये समझते हैं कि मुसलमान सिर्फ़ अल्लाह या खुदा के अतिरिक्त किसी को नहीं मानते ।लेकिन जो लोग मुसलमानों को थोङा करीब से जानते हैं । उन्हें बखूबी मालूम है । कि मुसलमानों में भी सूर्य ( आफ़ताब ) चन्द्रमा ( माहताब ) का उतना ही महत्व है । जितना हिंदू या अन्य जातियों में । यहाँ मजे की एक बात और विचारणीय प्रश्न ये भी हैं कि ज्यादातर मुसलमान या यहूदी या संसार का कोई भी धर्म एक बात समबेत स्वर में कहता है । कि भगवान । अल्लाह या गाड वास्तव में एक ही है । और ये सब उसी की सत्ता है । और जब वह एक ही है । और उसी की सत्ता है । तो ये तैतीस करोङ उसके कर्मचारी हैं । अब तैतीस करोङ या तैतीस लाख को छोङकर थोङी देर के लिये तैतीस भगवान ही मान लेते हैं । और एक वो जो सबका है । इस तरह ये चौतींस हो गये । अगर चौतीस महाशक्तियाँ कार्यरत होती ? तो उनका सत्ता के लिये झगङा नेताओं के झगङे को भी पीछे छोङ देता । तैतीस करोङ देवता । वास्तव में तैतीस करोङ आवृतियाँ हैं । जिनका छोटा बङा देवता नियुक्त हैं । आपको जो उल्टी आती है । इसका भी देवता है । आपको डकार आती है । आपको पाद आता है । आपको जम्हाई आती है । आपके अन्दर " काम " जागता है । आपके अन्दर संगीत प्रेम जागता है । आपको कब्ज हो जाती है । आपको बुखार आ जाता है । आपको मामूली फ़ुंसी हो जाती हैं । आप दया करते हैं । आप क्रोध करते हैं ।इन सबका एक एक देवता नियुक्त है । ऐसी सब कुल मिलाकर प्रत्येक इंसान के अन्दर तैतीस करोङ आवृतियाँ बनती हैं । जिन्हें सरल भाषा में क्रिया भी कह सकते है । आप जो हाथ फ़ैलाते और सिकोङते हैं । इतनी ही बात के दो देवता है । इस तरह प्रत्येक इंसान तैतीस करोङ देवताओं को आश्रय दे रहा है । तैतीस करोङ देवताओं की पूजा या भोग की बात कैसे प्रचलन में आयी वो भी बताता हूँ । आपने धर्म शास्त्रों में यग्य और आहुति का जिक्र पढा या सुना होगा । यग्य पंचाग्नि जलाकर किया जाता है । और आहुति भोग सामग्री की दी जाती है । यग्य का अर्थ है । इसको जानना । यानी ये शरीर जो प्राप्त है । इसका असली रहस्य क्या है ? पंचाग्नि यानी जठराग्नि । मंदाग्नि । आदि पाँच अग्नि हमारे पेट में स्वतः प्रज्वलित है । आहुति । जो भोजन हम खाते है । यह यग्य की आहुति के रूप में हमारे शरीर पर आश्रित तैतीस करोङ देवताओं का पोषण करता हैं । यानी हमारे इस भोग से उनको त्रप्ति होती है । तो कभी किसी बात पर उपाय के रूप में । या हमारे अध्यात्म ग्यान के रूप में । या शरीर । आत्मा । मन । विषयक प्रश्नों की वजह से रिषी मुनियों ने यह सत्य बताया । कि तैतीस करोङ देवताओं को भोग देने से ही हमारे सभी कार्य सुचारु रूप से होंगे । और यह एकदम सत्य बात है । और प्रत्येक जाति के इंसान के लिये है । अब मान लो । किसी को फ़ोङा हो गया । तो पहले आजकल की तरह डाक्टर तो थे नहीं । आयुर्वेद ही था ।
जो निसंदेह वैदिक ग्यान परम्परा पर आधारित है । तो पहले के वैध अपने शब्दों में इस तरह कह देते थे । कि फ़लाना देवता बिगङ गया । इसे इस विधि या उपचार के द्वारा पुष्ट कर दो । और सही बात है । आपकी किसी असाबधानी से ही कोई परेशानी पैदा होती है । तो उसका उपचार कर दो । उसको पोषण दे दो । बात खत्म । इस तरह तैतीस करोङ देवताओं की बात प्रचलन में आ गयी । पर उल्टा हो गया । कबीर ने कहा है । कि " नय्या में नदिया डूबी जाय । " इसी तरह की बातों के ऊपर कहा है ।
वास्तव में यह तैतीस करोङ देवता हमारे आश्रित है । और हम समझने लगे कि हम इनके आश्रित हैं । अगर आप इन्द्रियों से काम न लो । तो इन देवताओं को पोषण नहीं मिलेगा । तो आप विचार करें । ऐसा कौन सा धर्म या जाति है । जो खाना नहीं खाती । पानी नहीं पीती । या कामभोग नहीं करती । या शरीर की अन्य क्रियायें नहीं करती । और यदि करती है । तो उसका सम्बन्ध तैतीस करोङ देवताओं से निश्चय ही है । लेकिन वास्तव में यह सिर्फ़ हिंदू धर्म नहीं है । बल्कि ये सनातन धर्म है । सना तन यानी शरीर से लिपटा या ओत प्रोत धर्म । और शरीर तो सभी का एक जैसा ही है । या अलग अलग है ?
इस तरह कुल तैतीस करोङ देवता है । जिनमें तैतीस प्रमुख हैं । ये तैतीस कौन हैं । शरीर की पच्चीस प्रकृतियों के पच्चीस देवता । शरीर के पाँच तत्व के पाँच देवता । जल । वायु । अग्नि । प्रथ्वी ।आकाश । इस प्रकार ये तीस हो गये । शेष तीन देवता । इन तैतीस में भी प्रमुख हैं । ये ब्रह्मा ( रजोगुण ) विष्णु ( सतोगुण ) शंकर ( तमोगुण ) हैं । सभी जानते हैं कि ये सृष्टि तीन गुणों पर कार्य करती हैं ।
तो इस तरह कौन सा ऐसा जीव है ? कौन सा ऐसा मनुष्य है ? कौन सी ऐसी जाति ? धर्म हैं जिसमें तैतीस करोङ देवता नहीं हैं ? पच्चीस प्रकृतियों और पाँच तत्वों के बारे में अधिक जानने के लिये अन्य लेख पढें ।
" जाकी रही भावना जैसी । हरि मूरत देखी तिन तैसी । " " सुखी मीन जहाँ नीर अगाधा । जिम हरि शरण न एक हू बाधा । " विशेष--अगर आप किसी प्रकार की साधना कर रहे हैं । और साधना मार्ग में कोई परेशानी आ रही है । या फ़िर आपके सामने कोई ऐसा प्रश्न है । जिसका उत्तर आपको न मिला हो । या आप किसी विशेष उद्देश्य हेतु
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3 टिप्‍पणियां:

Vinashaay sharma ने कहा…

जय गूरूदेव की
अब समझ में आया है,तैतीस करोड़ देवताओं का रहस्य ।

vijay ने कहा…

wah .......... bahut sundar.............alokik vijay banjaria

vijay ने कहा…

sundartam

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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।