डायनी महल से
आधा किमी पहले ही उसने टैक्सी छोङ दी, ताकि ड्राइवर को उलझन न हो,
और कोई नयी बात न बने । और फ़िर वे दोनों आराम से टहलते हुये डायन
के निवास की ओर जाने लगे । इतने आराम से कि डायन निवास पहुँचते पहुँचते उन्हें
हल्का अंधेरा सा हो गया ।
जलवा को
अंधेरे में उस खौफ़नाक घर में जाते समय बेहद डर लग रहा था । बाहर की अपेक्षा घर
में अधिक अंधेरा था । फ़िर नीलेश सीधा डायन के कमरे में पहुँचा ।
और सामने लेटी एक बेहद घिनौनी बुढ़िया को देखकर बोला - ताई, राम राम ।
- अ..आऽ ! जलवा के मुँह से डरावनी चीख निकल गयी ।
और सामने लेटी एक बेहद घिनौनी बुढ़िया को देखकर बोला - ताई, राम राम ।
- अ..आऽ ! जलवा के मुँह से डरावनी चीख निकल गयी ।
इस अनोखी
रूपाकृति को देखकर वह इतना घबराया कि उसकी पेशाब निकलते निकलते बची ।
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- आओ
बच्चो ! बुढ़िया बङे प्यार से धीमे धीमे मरी आवाज में बोली -
बैठ जाओ, बङे दिनों बाद, इस बरसों से सूनी पङी हवेली में, मेरे अलावा भी कोई
आया है । जानते हो क्यों, क्योंकि लोग कहते हैं कि मैं डायन
हूँ..। कहते कहते वह सुबकने लगी - क्या
तुम लोगों को मैं किसी तरफ़ से भी डायन लगती हूँ ।
- ये बोल ! जलवा ने बेहद घृणा से मन ही मन में कहा - कि किस एंगल से नहीं लगती । तू तो डायन क्या, डायन की अम्मा नानी दादी चाची सब लगती है ।
नीलेश ने उसकी कसमसाहट समझते हुये उसकी हथेली दबायी । और वह बैठता तो कहाँ बैठता, अतः कमरे में बने आलमारी के गन्दे खानों में ही टेक लेता हुआ टिक गया । नीलेश ने बाजार से खरीदी मोटी और बङी मोमबत्ती से एक मोमबत्ती जलाकर वहाँ चिपका दी । मजबूरी में जलवा ने भी वैसा ही किया । लेकिन वह इस कमरे से क्या, इस मकान से क्या, इस शहर से ही चला जाना चाहता था । इतनी घिनौनी बूढ़ी औरत से उसका आज तक पाला नहीं पङा था ।
- ये बोल ! जलवा ने बेहद घृणा से मन ही मन में कहा - कि किस एंगल से नहीं लगती । तू तो डायन क्या, डायन की अम्मा नानी दादी चाची सब लगती है ।
नीलेश ने उसकी कसमसाहट समझते हुये उसकी हथेली दबायी । और वह बैठता तो कहाँ बैठता, अतः कमरे में बने आलमारी के गन्दे खानों में ही टेक लेता हुआ टिक गया । नीलेश ने बाजार से खरीदी मोटी और बङी मोमबत्ती से एक मोमबत्ती जलाकर वहाँ चिपका दी । मजबूरी में जलवा ने भी वैसा ही किया । लेकिन वह इस कमरे से क्या, इस मकान से क्या, इस शहर से ही चला जाना चाहता था । इतनी घिनौनी बूढ़ी औरत से उसका आज तक पाला नहीं पङा था ।
- बिलकुल
नहीं ! नीलेश सामान्य स्वर में बोला - लोगों
के देखने में फ़र्क है, निगाह का अन्तर, जिसे कहते हैं । आप तो एकदम संतोषी माँ लगती हो ।
- मेरा नाम मौलश्री है । बुढ़िया कमजोर आवाज में बोली - तुमने कुछ खा पी लिया मेरे बच्चों ।
- क्या खिलायेगी हरामजादी ! जलवा के मन में घिन हुयी - ये सङी बकरिया, या चमगादङ का खून ।
- ताई ! अचानक नीलेश जलवा की व्यग्रता समझता हुआ बोला - वो हरीश अभी है, या तूने उसे मुक्त कर दिया । शायद जो काम तू वहाँ न कर पायी हो, वो यहाँ कर दिया हो, क्योंकि आज दो दिन और हो गये ।
- अभी कहाँ..अभी तो बहुत काम बाकी है रे ! वह कोहनी के बल टिकती हुयी बोली - अभी बहुत काम बाकी है । मुझ बूढ़ी को क्या क्या नहीं करना पङता, क्या क्या नहीं । सत्तर लोगों को ले जाने की डयूटी है मेरी । अब तक छप्पन ही हुये । अभी चौदह और भी बाकी हैं ।
- फ़िर बङा स्लो काम करती है तू । पचासी की तो तू हो ही गयी, और पचासी में सिर्फ़ छप्पन । तेरे ऊपर वाले कुछ टोकते नहीं क्या?
उसने कोई जबाब नहीं दिया, और ब्लाउज में हाथ डालकर बगल खुजाने लगी । उसके बेहद ढीले ब्लाउज के सिर्फ़ दो बटन लगे थे, और इस तरह खुजाने से उसका दुही जा चुकी बकरी के थन के समान एक निचुङा स्तन बाहर आ गया ।
- मेरा नाम मौलश्री है । बुढ़िया कमजोर आवाज में बोली - तुमने कुछ खा पी लिया मेरे बच्चों ।
- क्या खिलायेगी हरामजादी ! जलवा के मन में घिन हुयी - ये सङी बकरिया, या चमगादङ का खून ।
- ताई ! अचानक नीलेश जलवा की व्यग्रता समझता हुआ बोला - वो हरीश अभी है, या तूने उसे मुक्त कर दिया । शायद जो काम तू वहाँ न कर पायी हो, वो यहाँ कर दिया हो, क्योंकि आज दो दिन और हो गये ।
- अभी कहाँ..अभी तो बहुत काम बाकी है रे ! वह कोहनी के बल टिकती हुयी बोली - अभी बहुत काम बाकी है । मुझ बूढ़ी को क्या क्या नहीं करना पङता, क्या क्या नहीं । सत्तर लोगों को ले जाने की डयूटी है मेरी । अब तक छप्पन ही हुये । अभी चौदह और भी बाकी हैं ।
- फ़िर बङा स्लो काम करती है तू । पचासी की तो तू हो ही गयी, और पचासी में सिर्फ़ छप्पन । तेरे ऊपर वाले कुछ टोकते नहीं क्या?
उसने कोई जबाब नहीं दिया, और ब्लाउज में हाथ डालकर बगल खुजाने लगी । उसके बेहद ढीले ब्लाउज के सिर्फ़ दो बटन लगे थे, और इस तरह खुजाने से उसका दुही जा चुकी बकरी के थन के समान एक निचुङा स्तन बाहर आ गया ।
जलवा को इतनी
घिन आयी कि अबकी उसने कोई परवाह न करते हुये साइड में थूक दिया ।
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