मंगलवार, जुलाई 26, 2011

डायन The Witch 4


- एक्सक्यूज मी ! नीलेश ने अचानक उसे बीच में टोका - बुढ़िया का लङका अब कहाँ है?
- वो इस समय डी एम है, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ।
नीलेश उछलते उछलते बचा ।
- भले ही आपको इस बात पर हैरानी हो रही होगी, पर वह और उसकी नयी बहू अब बुढ़िया से कोई सम्बन्ध नहीं रखते, और किसी पहाङी जगह पर रहते हैं । सामंत साहब की पत्नी भी प्रशासनिक सेवा में है ।
- ओह ! हठात नीलेश के मुँह से निकला - तो उसकी पहली बहू को भी बुढ़िया ने मार डाला ।
- नहीं । पीताम्बर बोला - दरअसल, धीरज सामंत साहब की पहली शादी बुढ़िया ने छोटी उमर में ही कर दी थी । उस समय धीरज बाबू पढ़ रहे थे । उसी समय उनको एक पुत्र भी हुआ था । जिसे कि, जैसा कि मैंने बताया । बुढ़िया ने कुँएं के पत्थर पर पटक पटक कर मार डाला । इस घटना के बाद वह बहू पागल सी हो गयी, और यूँ ही इधर उधर घूमती रहती । वह बेहद गंदी हालत में रहती थी । फ़िर इसके बाद एक दिन वह शहर ही छोङकर कहीं चली गयी, और उसके बाद उसका कोई पता न लगा ।
बाद में धीरज साहब पढ़ाई के लिये बाहर चले गये, और उसी दौरान उन्होंने नौकरी लगते ही दूसरी शादी कर ली थी । वह उनकी लवमैरिज हुयी थी । इसके बाद धीरज साहब एक दो बार ही शहर में आये, और फ़िर कभी नहीं आये । इस तरह वह बुढ़िया काफ़ी समय से उस विशाल मकान में अकेली रहती है ।
नीलेश ने एक निगाह पूर्ववत ही खिङकी पर बैठी बुढ़िया पर डाली, और जानबूझ कर मूर्खतापूर्ण प्रश्न किया - फ़िर बुढ़िया का खाना वाना कौन बनाता है, और उसका खर्चा वर्चा?
- आप भी कमाल करते हो, नीलेश जी ! पीताम्बर हैरानी से बोला - शेर की गुफ़ा में जाकर कोई बकरा उसके हालचाल जानेगा कि वह क्या कर रहा है, कौन मरने जायेगा ।
- जब बुढ़िया ने । नीलेश बोला - अपने अबोध नाती को मारा, तब आप लोगों ने पुलिस को इंफ़ार्म किया, या सोसायटी के लोगों ने कोई एक्शन लिया?
अब पीताम्बर और उन तीनों को साफ़ साफ़ समझ में आ गया कि यहाँ आकर उनसे भारी गलती हुयी । इस बन्दे के बस का कुछ भी नहीं है, और फ़ालतू में टीवी अखबार वालों की तरह इंटरव्यू कर रहा है । फ़िर भी एकदम अशिष्टता वे कैसे प्रदर्शित कर सकते थे ।
इसलिये वह बोला - नीलेश जी ! पुलिस वालों के बाल बच्चे नहीं होते क्या, जो वह अपनी और अपने घर वालों की जान जोखिम में डालेंगे । ये किसी क्रिमिनल का मामला नहीं बल्कि..!
- ड डायन ! एकदम उसके बोलने से पहले ही नीलेश के मस्तिष्क में एक शब्द ईको साउंड की तरह गूँजने लगा ।
- बल्कि..! नीलेश को उसकी आवाज फ़िर से सुनाई दी - एक डायन का मामला था । कोई उस क्षेत्र में फ़टकने भी नहीं जाता, वह डायन और डायनी महल पूरे शहर में प्रसिद्ध है ।
इस बार डायन मधुर स्वर में हँसी । उसके घुँघरू बजने जैसी ध्वनि सिर्फ़ नीलेश को सुनाई दी । लेकिन उसने खिङकी की तरफ़ देखने की कोई कोशिश नहीं की ।
- खैर..! नीलेश फ़िर से बोला - उस बुढ़िया से आपको क्या कष्ट? वह तो आपसे दो फ़र्लांग दूर रहती है, और फ़िर आपने कहा कि उसकी बस्ती में बहुत से अन्य लोग भी रहते हैं ।
पीताम्बर का मन हुआ कि अपने बाल नोच ले । भेजने वाले ने क्या सोचकर इसके पास भेजा ।
- आप कष्ट पूछ रहे हो । पीताम्बर बोला - ये पूछिये, क्या कष्ट नहीं है । हम लोग बेहद सतर्कता से रहते हैं । डायन ने कितने ही घर वीरान कर दिये, कितने ही लोगों को खा गयी, यानी मार डाला । वो बहुत दूर से खङी भी किसी को देखे, तो बदन में जलन होने लगती है । कभी किसी के घर के आगे रोटी का टुकङा फ़ेंक जाती है, किसी के घर के आगे हड्डियाँ फ़ेंक जाती है । किसी के दरवाजे पर खङी होकर रोटी प्याज भी माँगती है ।
- ओह.. ! नीलेश सीरियस होकर बोला - फ़िर तो यह वही मालूम होती है, जिसकी मीडिया में भी काफ़ी चर्चा हुयी थी । फ़िर शायद वह आपके ही शहर में रहती है । खैर..जब वह आपके यहाँ से रोटी प्याज माँगती है, तब आप उसको देते हो ।
- हमारा बाप भी देगा । पीताम्बर झुंझलाकर बोला - देना पङता है, अपने घर को किसी आपत्ति से बचाने के लिये, बिन बुलायी मुसीबत से बचाने के लिये ।
- अंधेरा..कायम रहेगा ! डायन उसे अँगूठा दिखाती हुयी बोली ।


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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।