मंगलवार, जुलाई 26, 2011

डायन The Witch 9




उसे याद आया हिमालयी क्षेत्र में स्वर्ग सीढ़ी के नजदीक भी ऐसा ही स्थान है । जहाँ पूर्वजन्म के संस्कारों से एकत्र हुये लोग स्वतः प्रेरित होकर एक दूसरे का गला दबाने लगते हैं । वास्तव में मौत के इस ओटोमैटिक सिस्टम के चलते वे दोनों शिकार खुद ही एक जगह पर आ गये, और मौत का खेल शुरू हो गया  
- योगी चंडूलिका बोली अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे । गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः । जिनके लिये शोक नहीं करना चाहिये, उनके लिये तुम शोक कर रहे हो । और बोल तुम बुद्धिमानों की तरह रहे हो । ज्ञानी लोग, न उनके लिये शोक करते हैं, जो चले गये,  और न ही उनके लिये, जो हैं ।
और अब अंतिम खेल शुरू हो चुका था ।
डायन ने उसे ‘डन’ का अंगूठा दिखाया ।
मगर उसकी तरफ़ से एकदम बेपरवाह नीलेश ने खुद को एकाग्र किया, और बुदबुदाया - अलख..
इसके साथ ही वह अपनी मध्य उंगली को अंगूठे से इस तरह से बारबार छिटकने लगा ।
मानो उसमें कोई गन्दी चीज लगी हो ।
तुरन्त ही वह बिल्लोरी जानवर इस शक्तिशाली प्रयोग से भयभीत हुआ, और हरीश के शरीर से निकलकर डायन में समा गया ।
डायन गुस्से में भयंकर रूप से दहाङी ।
- भाग हरीश ! अबकी बार नीलेश गला फ़ाङकर चिल्लाया मौत से बचना चाहता है, तो भाग । जितना तेज भाग सकता है, उतना तेज भाग, और मंदिर भी मत जाना, यहाँ से दूर भाग जा । सुबह ही मंदिर लौटना, तब मैं देखूँगा ।
हरीश के ऊपर से यकायक मानो नशा सा उतरा ।
उसने बिलकुल भी बिलम्ब नहीं किया, और तेजी से भागने लगा ।
नीलेश के शब्द उसका पीछा कर रहे थे - भाग हरीश, जल्दी भाग, और जल्दी, मौत तेरे पीछे है ।
गजानन बाबा जमीन पर गिर पङा, और निचेष्ट हो गया ।
चारों दूत उसके करीब आ गये, और उसके प्राणों को समेट कर बाहर लाने लगे ।
प्राणीनामा संयुक्त होते ही बाबा का शरीर दो बार हल्के से हिला, और दम निकलते ही वह बेदम हो गया । दूतों ने चंडूलिका को प्रणाम किया, और बाबा के जीव को लेकर हवा में दो सौ फ़ुट ऊँचा उठे । इसके बाद एक उज्जवल चमक सी कुछ क्षणों के लिये नजर आयी, और फ़िर वे उत्तर दिशा में रवाना हो गये ।
कसमसाती हुयी चंडूलिका ने नीलेश को गुस्से से घूरा, और फ़िर अंगूठा दिखाती हुयी बोली - छोङूँगी नहीं ..
- शक्ति ! नीलेश ने हँसकर उसकी तरफ़ देखा ।
डायन अंगूठा दिखाती हुयी बोली अँधेरा ।
और फ़िर वह अदृश्य हो गयी ।
नीलेश ने एक सिगरेट सुलगायी, और टहलता हुआ सा मंदिर की तरफ़ जाने लगा ।


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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।