उसे याद आया
हिमालयी क्षेत्र में स्वर्ग सीढ़ी के नजदीक भी ऐसा ही स्थान है । जहाँ पूर्वजन्म के
संस्कारों से एकत्र हुये लोग स्वतः प्रेरित होकर एक दूसरे का गला दबाने लगते हैं ।
वास्तव में मौत के इस ओटोमैटिक सिस्टम के चलते वे दोनों शिकार खुद ही एक जगह पर आ
गये, और मौत का खेल शुरू हो गया ।
- योगी ! चंडूलिका बोली - अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे । गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः । जिनके लिये शोक नहीं करना चाहिये, उनके लिये तुम शोक कर रहे हो । और बोल तुम बुद्धिमानों की तरह रहे हो । ज्ञानी लोग, न उनके लिये शोक करते हैं, जो चले गये, और न ही उनके लिये, जो हैं ।
और अब अंतिम खेल शुरू हो चुका था ।
डायन ने उसे ‘डन’ का अंगूठा दिखाया ।
- योगी ! चंडूलिका बोली - अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे । गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः । जिनके लिये शोक नहीं करना चाहिये, उनके लिये तुम शोक कर रहे हो । और बोल तुम बुद्धिमानों की तरह रहे हो । ज्ञानी लोग, न उनके लिये शोक करते हैं, जो चले गये, और न ही उनके लिये, जो हैं ।
और अब अंतिम खेल शुरू हो चुका था ।
डायन ने उसे ‘डन’ का अंगूठा दिखाया ।
मगर उसकी
तरफ़ से एकदम बेपरवाह नीलेश ने खुद को एकाग्र किया, और बुदबुदाया -
अलख..।
इसके साथ ही वह अपनी मध्य उंगली को अंगूठे से इस तरह से बारबार छिटकने लगा ।
इसके साथ ही वह अपनी मध्य उंगली को अंगूठे से इस तरह से बारबार छिटकने लगा ।
मानो उसमें
कोई गन्दी चीज लगी हो ।
तुरन्त ही वह बिल्लोरी जानवर इस शक्तिशाली प्रयोग से भयभीत हुआ, और हरीश के शरीर से निकलकर डायन में समा गया ।
तुरन्त ही वह बिल्लोरी जानवर इस शक्तिशाली प्रयोग से भयभीत हुआ, और हरीश के शरीर से निकलकर डायन में समा गया ।
डायन गुस्से
में भयंकर रूप से दहाङी ।
- भाग हरीश ! अबकी बार नीलेश गला फ़ाङकर चिल्लाया - मौत से बचना चाहता है, तो भाग । जितना तेज भाग सकता है, उतना तेज भाग, और मंदिर भी मत जाना, यहाँ से दूर भाग जा । सुबह ही मंदिर लौटना, तब मैं देखूँगा ।
हरीश के ऊपर से यकायक मानो नशा सा उतरा ।
- भाग हरीश ! अबकी बार नीलेश गला फ़ाङकर चिल्लाया - मौत से बचना चाहता है, तो भाग । जितना तेज भाग सकता है, उतना तेज भाग, और मंदिर भी मत जाना, यहाँ से दूर भाग जा । सुबह ही मंदिर लौटना, तब मैं देखूँगा ।
हरीश के ऊपर से यकायक मानो नशा सा उतरा ।
उसने बिलकुल
भी बिलम्ब नहीं किया,
और तेजी से भागने लगा ।
नीलेश के
शब्द उसका पीछा कर रहे थे -
भाग हरीश, जल्दी भाग, और
जल्दी, मौत तेरे पीछे है ।
गजानन बाबा जमीन पर गिर पङा, और निचेष्ट हो गया ।
गजानन बाबा जमीन पर गिर पङा, और निचेष्ट हो गया ।
चारों दूत
उसके करीब आ गये,
और उसके प्राणों को समेट कर बाहर लाने लगे ।
प्राणीनामा
संयुक्त होते ही बाबा का शरीर दो बार हल्के से हिला, और दम निकलते ही वह
बेदम हो गया । दूतों ने चंडूलिका को प्रणाम किया, और बाबा के
जीव को लेकर हवा में दो सौ फ़ुट ऊँचा उठे । इसके बाद एक उज्जवल चमक सी कुछ क्षणों
के लिये नजर आयी, और फ़िर वे उत्तर दिशा में रवाना हो गये ।
कसमसाती हुयी चंडूलिका ने नीलेश को गुस्से से घूरा, और फ़िर अंगूठा दिखाती हुयी बोली - छोङूँगी नहीं ..।
कसमसाती हुयी चंडूलिका ने नीलेश को गुस्से से घूरा, और फ़िर अंगूठा दिखाती हुयी बोली - छोङूँगी नहीं ..।
- शक्ति
! नीलेश ने हँसकर उसकी तरफ़ देखा ।
डायन अंगूठा
दिखाती हुयी बोली - अँधेरा ।
और फ़िर वह अदृश्य हो गयी ।
नीलेश ने एक सिगरेट सुलगायी, और टहलता हुआ सा मंदिर की तरफ़ जाने लगा ।
और फ़िर वह अदृश्य हो गयी ।
नीलेश ने एक सिगरेट सुलगायी, और टहलता हुआ सा मंदिर की तरफ़ जाने लगा ।
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