मंगलवार, जुलाई 26, 2011

डायन The Witch 7




- मैं सुन्दरी नहीं हूँ । वह बिना किसी भाव के बोली - मेरा नाम चंडूलिका साक्षी है, और यमलोक मेरा निवास है, क्या तुम मेरा मेहमान बनना पसन्द करोगे?
- कमीनी ! न चाहते हुये भी स्वभाववश नीलेश के मन में भाव आ ही गया - तेरा मेहमान बनना, तो शायद मूर्ख से मूर्ख भी ना पसन्द करे ।
- लेकिन ऐसा नहीं है । अबकी बार डायन बिना किसी उत्तेजना के शान्त स्वर में बोली - योगी आप डायन या ऐसी अन्य गण आत्माओं के बारे में जानते नहीं हैं, इसलिये ।
- जानना भी नहीं चाहता । इस बार नीलेश के मुँह से निकल ही गया - मेरे दिमाग में इस समय सिर्फ़ एक ही बात है कि हरीश की मौत होगी, मगर क्यों, क्यों चंडूलिका साक्षी क्यों, आखिर क्यों? जबकि तुम इसे अलफ़ बता रही हो ।
- जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च । वह डाली पर ठीक से बैठती हुयी बोली तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि, क्योंकि हे योगी ! जिसने जन्म लिया है, उसका मरना निश्चित है, और उसके बाद मरने वाले का जन्म भी तय है । जिसके बारे में कुछ किया नहीं जा सकता, कुछ भी नहीं किया जा सकता । फ़िर ऐसा जानकर उसके बारे में तुम्हें शोक नहीं करना चाहिये ।
मगर न जाने क्यों, न जाने कौन सी अज्ञात प्रेरणा से नीलेश अब उस डायन से प्रभावित नहीं हो रहा था, और अपने स्वभाव में लौट आया था । अब वह नीलेश था, वास्तविक नीलेश ।
अतः एकदम लापरवाह होकर बोला - तेरी माँ ..
तभी उसे पीताम्बर ऊपर आता दिखायी दिया ।
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- हम लोग आज रुक गये । वह बेहद गर्मजोशी से बोला - दरअसल भगवान की कृपा से हमारा काम बन गया । नीचे बाबाओं में जो गजानन बाबा हैं, उन्होंने कहा है कि डायन क्या उसकी माताजी भी हमारी बस्ती छोङ देगी, उन्होंने बहुत टेङी टेङी डायनों चुङैलों को ठीक किया है । वे आपके बारे में कह रहे थे कि आप अभी नौसिखिया हैं । ..नीलेश जी माइंड मत करना, लेकिन ये डायन चुङैल वास्तव में बच्चों के काम नहीं हैं । फ़िर अभी आप तंत्र विद्या सीख रहे हो, और अभी उमर ही क्या हुयी होगी आपकी । अभी तो शायद, शादी भी नहीं हुयी होगी । वैसे आप शादी तो करेंगे ना । बुरा मत मानना, क्योंकि मैंने सुना है कि साधु लोग अक्सर शादी नहीं करते, ना । लेकिन हम ग्रहस्थ लोगों का तो शादी बिना गुजारा नहीं हो सकता । 
- कमाल है । नीलेश मन ही मन हैरान सा रह गया - इसे अचानक क्या हो गया ।
तब उसे ख्याल आया कि ये गांजा भरी चिलम का कमाल था, जो उसने थोङी देर पहले नीचे साधुओं के साथ पी थी, और उसे पीने से काफ़ी हद तक उसके मन से डायन का खौफ़ जाता रहा था ।
परन्तु मौत का बिगुल बज चुका था । मौत और मरने वाला आमने सामने आ चुके थे, लेकिन उस भावी मौत से अनजान ये इंसान कितना खुश था । सिर्फ़ कुछ घन्टे बाद होने वाली मौत से ।
नीलेश उससे हरीश के बारे में पूछना चाहता था । पर उसमें एक बेहद दिक्कत वाली बात यह थी कि हरीश वाकई मर जाता, या अन्य कोई बङा हादसा होता, तो उसके तार खामखाह उससे जुङ जाने वाले थे । क्या पता हरीश के साथ क्या और कैसे होने वाला था, और इस तरह पूछकर एक होने वाली बात से जानबूझ कर सम्बन्ध बनाता हुआ, वह एक और नयी मुसीबत को जन्म नहीं देना चाहता था ।
लेकिन तभी उसे डायन की आवाज सुनायी दी - चिंता न करो, और मौत का नंगा नाच देखो । जो आप जानना चाहते हो । वह यह खुद बतायेगा, और बिना पूछे बतायेगा ।
- अब देखो ना । पीताम्बर सिगरेट का गहरा कश लेता हुआ बोला - मेरे लङके हरीश को ही देखो । अभी क्या उमर है उसकी, पर मैंने उसकी शादी तय कर दी । नीलेश जी, बुरा मत मानिये, लेकिन आजकल इंडिया में विदेशों की तर्ज पर फ़्री सेक्स का चलन होता जा रहा है । ऐसे में कुछ उल्टा सुल्टा हो जाये, तो कुल खानदान पर दाग लग जाता है । इसलिये मैं उसकी जल्द से जल्द शादी कर देना चाहता हूँ ।
- मगर मौत से । चंडूलिका सर्द स्वर में बोली - वो भी कुछ ही देर में, अर्थी रूपी घोङे पर बैठा हुआ, रक्त से सराबोर सजा हुआ, और तुम्हारे रुदन की मातम रूपी शहनाईयाँ सुनता हुआ, वह अपनी बारात शमशान ले जायेगा, और मौत की देवी का आलिंगन करेगा, जो बेकरारी से उसका इंतजार कर रही है । 
उस बेहद सर्द स्वर को सुनकर नीलेश जैसे इंसान के भी भय से रोंगटे खङे हो गये ।


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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।