रविवार, अप्रैल 04, 2010

भगवान मुझे बचाओ..??.

एक बार महात्मा श्रीकृष्ण भोजन कर रहे थे अचानक ही
भोजन छोङकर बाहर की तरफ़ चल दिये .अभी उनकी पत्नी कुछ पूछ पाती इससे पहले ही फ़िर से बैठकर भोजन करने लगे..तब उनकी पत्नी से न रहा गया और उन्होंने पूछा आप अच्छे खासे भोजन कर रहे थे फ़िर बीच में छोङकर चल दिये और फ़िर बैठकर भोजन करने लगे..इसका क्या रहस्य है
श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया कि मेरे एक भक्त को कुछ लोग मार
रहे थे तब वह सहायता के लिये मुझे पुकार रहा था इसलिये
में खाना छोङकर उसे बचाने दौङा..फ़िर कुछ ही देर में उसने मुझे पुकारना बन्द कर दिया और खुद ही संघर्ष करने लगा..तब में फ़िर से खाना खाने बैठ गया .
वास्तव में इस दृष्टांत को ठीक से समझने के लिये हमें द्रोपदी
और गज ग्राह की घटना को समझना होगा..द्रोपदी जब तक
ये देखती रही कि मेरे बलबान पति मुझे बचायेंगे..फ़िर भीष्म
पितामह और अन्य लोंगो की तरफ़ उसका ध्यान गया और फ़िर सब तरफ़ से निराश हो जाने पर वह श्रीकृष्ण को पुकारने लगी .और उन्होंने उसकी रक्षा की . गज भी पहले अपनी शक्ति से लङा और फ़िर उसने भगवान को पुकारा .तब उसकी रक्षा हुयी . हम कहीं न कहीं इस अभिमान में जीते हैं कि अभी हम जो हैं वो स्वयं ही समर्थ है इसी अभिमान में हम भक्ति को
पाखंड कह कर उससे किनारा कर लेते हैं पर भक्ति करने वाले
लोग जानतें है कि यह बङे काम की चीज है .
सुखी मीन जहाँ नीर अगाधा ..जिम हरि शरण न एकहु व्याधा
कबिरा मन निर्मल भया जैसे गंगा नीर ..पीछे पीछे हरि फ़िरे कहत कबीर कबीर

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मेरे बारे में

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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।