मंगलवार, अप्रैल 20, 2010

हम खून पीते हैं ??

मैं अक्सर लोगों से कहता हूँ कि क्या ये बात
आपको पता थी .आज मैं आपको वो बात बताने जा रहा हूँ जो वास्तव में मुझको भी नहीं पता थी और साथ ही ये भी सोचता हूँ कि जिन को मैं दोषी कह रहा हूँ तो मेरी ये धारणा उचित है अथवा अनुचित आप कल्पना करें कि किसी भी जगह एक नवजात शिशु चाहे वो इंसान चिङिया या किसी भी जानवर आदि का क्यों न हो और वो आप सबकी जानकारी में केवल इसलिये
भूख से तङपता हुआ मरेगा क्योंकि उसके जीवन का कोई उपयोग ही नहीं है . कल्पना करिये कि वो आपका ही बच्चा है तो आपको कैसा लगेगा .और मैं एक बात और भी बता
दूँ कि इस पाप को देखने और सहभागी होने के लिये हम सब एक तरह से मजबूर हैं और आगे पङते ही आप जान जायेंगे कि आप या कोई भी इससे अछूता नहीं है . आप महिला है या पुरुष सुबह या शाम आप दूध लेने जाते है..जो आपने किसी भेंस या गाय वाले से बांध रखा है ये दर्दनाक
प्रसंग उसी से जुङा है . भेंस या गाय के दूध देने से पूर्व उसका बच्चा होना आवश्यक होता है ये बच्चा यदि मादा के रूप में जन्मा है फ़िर तो कोई बात नहीं है पर दुर्भाग्य से यदि ये नर के रूप में जन्मा है तो भूख से तङफ़कर मर जाना ही उसकी नियत है क्योंकि आजकल भेंसा या वैल का कोई उपयोग नहीं है लिहाजा कसाई जो पहले से तैयार होता है पड्डा या बछ्डा के जन्म से बेहद खुश होता है और उसको काटकर उसकी खाल में भूसा भरकर भेंस बाले को लौटा देता है कुछ लोग जो थोङा दयालु होते हैं वो जिन्दा पड्डा कसाई को देकर हत्या का पाप नहीं लेना चाहते और उसको भूखा रखकर मार देते हैं .
अब इस पर उनके तर्क सुनिये जो किसी हद तक सही हैं एक पड्डा दोनों समय एक ढेङ किलो दूध तब पीता है जब
उसको थोङा पिलाया जाय यानी लगभग पचास रुपये प्रतिदिन ...फ़िर कब तक उसे खिलाकर जिन्दा रखोगे..? अगर रख भी लोगे तो उसका होगा क्या..?
अब सुनिये जो मेरा विचार है . भेंस या गाय को इससे क्या मतलब कि तुमने (मनुष्य ) आधुनिकी में उसका उपयोग ही खत्म कर दिया क्या वो अपने बच्चे के लिये तङपे भी नहीं या आपको कोसे भी नहीं कि आपने उसके बच्चे की हत्या कर दी..ऐसे ही कुछ मिले जुले विचार और भी हो सकते हैं पर हम इससे इंकार नहीं कर सकते कि हम किसी भी बेबस पशु की हाय और हत्या से बचे हुये है..और इस तरह हम जो दूध पीते हैं वो दूध न होकर खून है सिर्फ़ ...खून..blood..only..

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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।