सोमवार, अप्रैल 05, 2010

एक के बजाय दो ले ले..??

आज से लगभग अस्सी बरस पहले की बात है . सिन्ध प्रान्त में जो अब पाकिस्तान में है .एक बेहद प्रसिद्ध सांई बाबा हुये हैं . भारत में ज्यादातर लोग शिरडी वाले सांई को ही जानते हैं और ऐसा समझते हैं कि सांई उनका नाम है . अर्थात सांई नाम के वे अकेले ही है . दरअसल सांई एक उपाधि है जो एक मत को मानने से होती है .मेरे एक परिचित ने मुझे सांई शब्द का अर्थ साक्षात ईश्वर बताया .यह (उनके अनुसार ) सा (साक्षात ) ई (ईश्वर ) इस तरह था . मैंने कहा महाराज गौर करें सा नही सां है . फ़िर उन्हें कोई जबाब नहीं सूझा .लेकिन मैं इस बात से अबश्य सहमत हूँ कि कुछ ऐसी साधनांए अबश्य हैं . जिनमें ईश्वर से (ध्यानवस्था ) में बात की जा सकती है . पर भारत की बात निराली है .यहाँ आप किसी से कुछ चमत्कारिक बात कह दो लोग अंधभक्ति (धर्म के मामले में ) ही करते हैं और बात समझने का प्रयत्न नहीं करते हैं .ये मामला सिंध के एक सांई का है जिनकी बेहद प्रतिष्ठा थी और शाम से देर रात तक उनका दरवार लगता था . उसी गाँव में सलमा नाम की एक औरत रहती थी .
सलमा की शादी को काफ़ी समय हो चुका था पर उसको कोई औलाद नहीं हुयी थी .इलाज इत्यादि के बाद वह पीर फ़कीरों के दरवाजे पर भी मन्नत माँगने गयी परन्तु उसको कोई लाभ नहीं हुआ . तब किसी ने उसे इन सांई के बारे में बताया..औलाद की आस में सलमा सांई के दरवार में जाने लगी . वह रोजाना प्रसाद के रूप में कुछ न कुछ ले जाती थी करीब दो महीने बाद सांई बाबा का ध्यान उसकी तरफ़ गया और उन्होने पूछा कि तुम किसलिये दरवार में सेवा करती हो . तुम्हारी आरजू क्या है अगर में तुम्हारे लिये कुछ कर सका तो मुझे खुशी होगी सलमा के आँसू निकल आये और उसने कहा बाबा शादी के बीस साल बाद भी मुझे कोई औलाद नहीं हैं . बाबा ने कहा कि बेटी रात को ध्यान के वक्त मैं ईश्वर से तुम्हारी फ़रियाद अवश्य पहुँचाऊंगा . सलमा खुशी खुशी घर चली गयी अब उसे अपनी मुराद पूरी होती लग रही थी .
दूसरे दिन सलमा ने बङिया बिरियानी तैयार की और समय पर बाबा के दरबार में पहुँची जैसे ही वह बिरियानी रखने लगी . बाबा ने उसे रोक दिया . रुक जा बेटी हम तेरी सेवा के हकदार नहीं हैं .सलमा हकबकाकर उनका मुँह देखने लगी . बाबा ने उदास स्वर में कहा कि कल मैंने ईश्वर से तेरे बारे में बात की थी उसने कहा कि तेरे भाग्य में औलाद नहीं है . बाबा ने उसकी बिरियानी भी स्वीकार नहीं की . वहाँ से निराश सलमा जब लौट रही थी उसे रास्ते में एक फ़क्कङ मिला . जो अजीव वेशभूषा में घूमता रहता था और स्थानीय लोग उसे पागल कहते थे . उसने सुबकती हुयी लौट रही सलमा को देखकर कहा क्यों रोती है मूरख .जब सबकी सुनने वाला ऊपर बैठा हुआ है . उसने सलमा के पास आकर कहा तेरे हाथ में क्या है मुझे भूख लगी है . दुखी सलमा ने उसे बिरियानी खाने को दे दी . तब बाबा ने खाते खाते पूछा कहाँ गयी थी और क्यों रो रही है सलमा ने सब बता दिया .पागल ने कहा . बस इतनी सी बात है जिसके लिये रोती है . चल तू एक बच्चा माँगने गयी थी . मैं तुझे दो देता हूँ . हालांकि तू अभी पागल जानकर अभी मेरी बात का विश्वास नहीं करेगी पर ऐसा ही होगा . वास्तव मैं सलमा को उसकी बात पर विश्वास नहीं हुआ .जब सांई जैसे प्रतिष्ठित बाबा ने मना कर दिया तो ये तो सबको मालूम था कि पागल है लेकिन समय आने पर सलमा गर्भवती हो गयी और फ़िर ये बात चारों तरफ़ फ़ैल गयी और सांई के कानों तक जा पहुँची .बेहद हैरत से सांई सलमा से मिलने आये और सारी बात पूछी . सलमा ने उन्हें पूरी बात बता दी . सांई ने अत्यंत आश्वर्य से ध्यान में ईश्वर से सारी बात पूछी ईश्वर ने उत्तर दिया कि जिनका ये आदेश था उनका आदेश काटने की शक्ति किसी में नहीं है . बेचैन होकर सांई उस पागल बाबा को खोजते फ़िरे पर उनका कहीं कोई पता नहीं था . समय आने पर सलमा ने दो स्वस्थ पुत्रों को जन्म दिया . पागल बाबा का पता लगाने की बहुत कोशिश की गयी पर वो किसी को नही मिला .

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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।