शनिवार, अप्रैल 10, 2010

आत्मा प्राण से भी अति सूक्ष्म है ??

शरीर का ध्रुव प्राण है . प्राण का केन्द्र आत्मा है .??
शरीर का ध्रुव प्राण है . प्राण का केन्द्र आत्मा है . जब शरीर
की स्थिरता होती है तब प्राण का सूक्ष्म रूप साफ़ साफ़ प्रतीत
होने लगता है . जब वह प्राण का सूक्ष्म रूप ही जब जीव को
सुरति के द्वारा भाषने लगता है तब आत्मा का साक्षात्कार होने लगता है क्योंकि आत्मा प्राण से भी अति सूक्ष्म है .सूक्ष्म आत्मा में प्राण के प्रवेश होने पर प्रकाश होने लगता है .
सूक्ष्म द्रष्टि वाले पुरुषों द्वारा सूक्ष्म तीक्ष्ण बुद्धि से परमात्मा
देखा जाता है क्योंकि परमात्मा सूक्ष्म से भी सूक्ष्म है .
साधक सुरति पर सवार होकर अपने अन्तर में देखता है तथा
प्राण का अभ्यास करता है तब वह एक अदभुत ध्वनिमय शब्द को पाता है . वह ध्वनिमय शब्द देर तक अनुभव में आता है . तब वही लम्बा अभ्यास भूमा का रूप धारण कर लेता है .जो यह आत्मा से उसका स्वरूप पाँच स्वरूपों में आच्छादित किया गया तथा इसका स्वरूप विराटमय है . एक विराट प्रकाश का आलोक जिसमें पाँच महाभूत आकाश , वायु , जल प्रथ्वी , अग्नि आदि सम्मिलित है . यह पाँच कोष वाला है . प्राणमय , मनोमय ,ग्यानमय , विग्यानमय , आनन्दमय पाँच कोषों में व्यापक स्वरूप वाला है .
ध्यान में-प्राण में प्रवेश कर प्राणमय कोष में , तब प्राण सूक्ष्म प्राण में अन्तःकरण होने के कारण मनोमय कोष में मन निर्मल- मन निर्मल हो तो ग्यानमयकोष में , स्वतः ग्यान का आनन्द , ग्यानमय कोष से विग्यानमय कोष में . इन चारों के बाद परमात्मा के वास्तविक सत्य सर्वत्र तथा निरन्तर अविनाशी आनन्द मय कोष में पहुँचकर परमब्रह्म परमात्मा को भलीभांति पाकर आनन्दित हो जाता है .
परमात्मा ही शरीर रूपी वृक्ष पर जीव के साथ ह्रदय में बैठा हुआ है . साधक अभ्यास के द्वारा अन्तःकरण का एक भाव होकर एक दिशा में चलता है तब वही दिव्य नेत्र अन्तर ही ह्रदय में अपनी आत्मा के दर्शन करता है .
जब मनुष्य आत्मतत्व का दर्शन करने के अभ्यास में लग जाता है तब अचेतन शरीर आदि पदार्थों से उसका मोह छूट जाता है तब वह ग्यान नेत्रों के द्वारा अपने आत्म बल को देखता है .

कोई टिप्पणी नहीं:

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।