रविवार, अप्रैल 04, 2010

जो करेगा सो भगवान करेगा

एक नये नये महात्मा हुये थे उन्होने अपने जीवन में एक शिक्षा ग्रहण कर ली थी कि जो करता है सो भगवान ही करता है .इसलिये हमें अन्य का सहारा लेने की आस छोङ देनी चाहिये.दैववशात एक बार महात्मा जी नदी के किनारे ध्यानमग्न थे कि अचानक नदी के पानी का जलस्तर बढने लगा .आसपास घूम रहे लोगों ने महात्मा जी को हिलाकर सचेत किया . महात्माजी नदी का जलस्तर बढ रहा है आप किसी अन्य स्थान पर चले जांय . महात्मा जी झिङककर बोले
चल तू कौन है मुझे बताने बाला या उठाने बाला वो स्वयं आकर मुझे उठायेगा .
तब तक पानी महात्मा जी के पैरों के आसपास तक बङ गया और फ़िर उनकी कमर तक आ गया . फ़िर कुछ लोगों ने कहा
महात्मा जी जलस्तर तेजी से बढ रहा है आप स्थान बदल लें
महात्मा जी ने फ़िर झिङक दिया . तुम कौन हो मुझे उठाने वाले वो स्वयं आकर वचायेगा .
अब पानी उनकी कमर तक आ गया और ऊपर बढने लगा तब कुछ लोग नाव पर आये और बोले . महात्माजी नाव पर आ जाइये आप डूब जाँयेगे .पहले की तरह महात्मा जी ने उसे भी झिङक दिया .
इस तरह कई लोगों ने उनको बचाने का प्रयत्न किया पर महात्माजी ने किसी की नहीं सुनी और नदी का जलस्तर उनकी गर्दन तक आ गया . तब एक हेलीकाप्टर वाले ने उनको रस्सी फ़ेंककर आवाज दी कि आप रस्सी पकङकर ऊपर आ जांय अन्यथा डूब जायेंगे .
महात्मा जी ने उसे भी झिङक दिया .तुम कौन होते हो बचाने वाले भगवान स्वयं बचायेंगे .
इस तरह महात्मा जी ने किसी की सहायता नहीं ली और डूब जाने से उनकी म्रत्यु हो गयी . फ़िर जब वे भगवान के सामने पहुँचे तो उन्होंने कहा . ओहो भगवान मैंने तुम पर कितना विश्वास किया पर तुमने मेरी कोई सहायता नहीं की और डूबकर मेरी म्रत्यु हो गयी
भगवान हँस कर बोले .जब तुम थोङे ही डूबे थे तो जो तुम्हें बताने वाला पहुँचा वो मैं ही था ..फ़िर कई बार मैंने अलग अलग रूपों में तुम्हें चेतावनी दी पर तुमने कोई ध्यान ही नहीं दिया और अंत में मैं हेलीकाप्टर लेकर पहुँचा फ़िर भी तुमने मेरी बात नहीं मानी तब महात्मा को अपनी गलती का अहसास हुआ
वास्तव में हमें बात का मतलब समझना चाहिये न कि बात ही पकङ लेनी चाहिये अन्यथा पछताने के सिवा कुछ भी हाथ नहीं आता ??
राम बुलावा भेजिया , दिया कबीरा रोय ...जो सुख है सत्संग में , सो बैकुन्ठ न होय .?
कोई न काहू सुख दुख कर दाता ,निज करि करम भोग सब भ्राता .

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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।