शनिवार, अप्रैल 10, 2010

मैंने एक लेपटाप और नेट कनेक्शन

प्रिय इन्टरनेटी बन्धुओं ,मित्रों
मैंने एक लेपटाप और नेट कनेक्शन (इसी होली पर ) महज इसलिये लिया था कि मैं अपने जैसे आध्यात्मिक विचारों वाले बन्धु बान्धवों से मिल सकूँ .जो जीवन को 100 बरस की वह पाठशाला मानते हों जिसमें हमें न सिर्फ़ इस भवसागर से पार होने का रास्ता खोजना है बल्कि उस स्कूल में दाखिला लेकर वह पढाई ( साधना ) भी पूरी करनी है.
क्योंकि ग्यानीजन अच्छी तरह जानते हैं कि ये मानव देह हमें चार प्रकार की (अण्डज , पिण्डज , ऊश्मज ,स्थावर ) चौरासी लाख योनियों को जो कि लगभग साढे बारह लाख
साल में भोगी जाती है ,के बाद मिलता है .इतने कष्टों और इतने समय बाद मिले उस मानव शरीर को जिसके लिये देवता भी तरसते हैं . किस्से कहानियां लिखने पढने ,चैटिंग सेटिंग करने , भोग विलास के रास्ते तलाशने , आलोचना समालोचना करने , मन और देह की आवश्यकता् पूर्ति (जो कभी पूरी नहीं होती ) हेतु लगाये रखना मेरे ख्याल से तो बुद्धिमानी नहीं है . सो इस हेतु क्योंकि ज्यादातर बुद्धिजीवी आत्माओं का अब इन्टरनेटी संस्करण और सम्पर्क ही उपलब्ध है और एक दूसरे का समय नष्ट किये बिना , चाय नाश्ते का कष्ट दिये बिना , सम्पर्क का इससे बेहतर साधन अभी तो कोई नहीं है . अपने इसी प्रयोजन हेतु मैंने कुछ प्रोफ़ाइल विभिन्न साइट
पर डाल दिये . पर इसके रिस्पाँस का जिक्र भी करना अखण्ड ब्रह्मचर्य को खतरे में डाल सकता है . सो हे अन्तर्जाल चक्रव्यूह के निपुण द्रोणाचार्यों मेरी मदद करो कि इस जाल पर उन लोगों का केम्प कहाँ लगा है जो सादा जीवन उच्च विचार , परमार्थ मुक्ति . ग्यान ,आत्मा ,परमात्मा जैसी बातों में भी दिलचस्पी रखते हैं . भला कर भला होगा को चरितार्थ करते हुये आप इतना तो कर ही सकते हैं . धन्यवाद email -golu224@ yahoo.com
या फ़िर satguru-satykikhoj.blogspot.com पर चिपका दें तो मेरे जैसे अन्य तलाशक भटकने से बच जांय .

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मेरे बारे में

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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।