सोमवार, अप्रैल 05, 2010

चाय दूध दोऊ रखे..कैसे पियोगे चाय..

दूध जो पियन मैं चला ,दूध न मिलया मोय
जो मैं चाही चाय पीऊँ, चाय हर तरफ़ होय
यारो प्याला चाय का ,मत तोरो चटकाय
टूट के फ़िर ना जुरे, कैसे पियोगे चाय
कल खाय सो आजु खा, आज खाय सो अब .
खाते ही रह जाओगे, तो चाय पियोगे कब .
चाय दूध दोऊ रखे ,काको पहले पांय
बलिहारी जा चाय की, सुस्ती देय भगाय
यह ऐसा संसार है जैसे सेमल फ़ूल
चार दिना की जिन्दगी ,चाय पियन न भूल
सुस्ती में सब चा पिये ,चुस्ती पिया ना कोय
जो चुस्ती में पी लेतो, सुस्ती कबहुँ न होय .
चा बनाये की विधि , है बच्चा बच्च ग्यानी .
पत्ती चीनी अदरक ,खौलाओ दूध ओ पानी
गुलकंद चीज क्या है ,आप पान लीजिये .
बन गयी है चाय बस , छान लीजिये .
दिल के अरमां आंसुओं मे वह गये .
ढेरों कपङे धो दिये ,फ़िर भी बाकी रह गये .
मेरा जीवन कोरा कागज ,कोरा ही रह गया ...बिल्ली दूध पी गयी , कटोरा रह गया .??

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मेरे बारे में

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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।