- इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं, मेरे बच्चे । उसकी
बात सुनकर मनसा कतई अप्रभावित स्वर में बोला - ये जीवन का
असली गणित है । गणित ! जिसके सही सूत्र पता होने पर, जिन्दगी
का हर सवाल हल करना, आसान हो जाता है । एक सामान्य मनुष्य, दरअसल तत्क्षण उपस्थिति चीजों से, हर स्थिति का
आंकलन करता है । जैसे कोई झगङा हुआ, तो वह उसी समय की घटना
और क्रिया पर विचार विमर्श करेगा । पर ज्यों ज्यों खोजेगा, झगङे
की जङ भूतकाल में दबी होगी । जैसे कोई यकायक रोगी हुआ, तो वह
सोचेगा कि अभी की इस गलती से हुआ, पर ऐसा नहीं । रोग की जङ
कहीं भूतकाल में पनप रही होगी । धीरे धीरे ।
- मैं कुछ समझा नहीं । वह उलझकर बोला - आपका आशय क्या है ?
- हुँऽ । जोगी विचार युक्त भाव से गहरी सांस लेकर बोला - मेरे कहने का मतलब है कि आज जो तुम्हारे सामने है । उसकी जङें, बीज कहीं दूर भूतकाल में हैं, और तुम्हारे लिये अदृश्य भूमि में अंकुरित हो रहे हैं । धीरे धीरे बढ़ रहे हैं । मैं सीधा तुम्हारे केस पर बात करता हूँ । पदमा के रहस्य की हकीकत जानने के लिये, तुम्हें भूतकाल को देखना होगा । उसकी जिन्दगी के पिछले पन्ने पलटने होंगे । और उनमें कुछ भी लिखा हो सकता है । मगर उस इबारत को पढ़कर ही तुम कुछ, या सब कुछ जान पाओगे । अब ये तुम पर निर्भर है कि तुम क्या कैसे और कितना पढ़ पाते हो ?
- पर । उसने जिद सी की - इसमें पढ़ने को अब क्या बाकी है ? पदमा तीस साल की है । विवाहित और अति सुन्दर । उसका एक देवर है, पति है । बस, वह अपने पति से न सन्तुष्ट है, न असन्तुष्ट ।
- मैं कुछ समझा नहीं । वह उलझकर बोला - आपका आशय क्या है ?
- हुँऽ । जोगी विचार युक्त भाव से गहरी सांस लेकर बोला - मेरे कहने का मतलब है कि आज जो तुम्हारे सामने है । उसकी जङें, बीज कहीं दूर भूतकाल में हैं, और तुम्हारे लिये अदृश्य भूमि में अंकुरित हो रहे हैं । धीरे धीरे बढ़ रहे हैं । मैं सीधा तुम्हारे केस पर बात करता हूँ । पदमा के रहस्य की हकीकत जानने के लिये, तुम्हें भूतकाल को देखना होगा । उसकी जिन्दगी के पिछले पन्ने पलटने होंगे । और उनमें कुछ भी लिखा हो सकता है । मगर उस इबारत को पढ़कर ही तुम कुछ, या सब कुछ जान पाओगे । अब ये तुम पर निर्भर है कि तुम क्या कैसे और कितना पढ़ पाते हो ?
- पर । उसने जिद सी की - इसमें पढ़ने को अब क्या बाकी है ? पदमा तीस साल की है । विवाहित और अति सुन्दर । उसका एक देवर है, पति है । बस, वह अपने पति से न सन्तुष्ट है, न असन्तुष्ट ।
लेकिन अपनी तरुणाई में, वह किसी जतिन से प्यार करती थी । मगर वह
साधु हो गया । बस अपने उसी पहले प्यार को, वह दिल से निकाल
नहीं पाती । क्योंकि कोई भी लङकी नहीं निकाल पाती ।
.. और फिर शायद उसी प्यार को वह हर लङके में खोजती है । क्योंकि पति में ऐसा
प्रेमी वाला प्यार खोजने का सवाल ही नहीं उठता । पति और प्रेमी में जमीन आसमान का
अंतर होता है ।..इसके लिये वह किसी लङके को आकर्षित करती है
। उसे अपने साथ खेलने देती है । यहाँ तक कि कामधारा भी बहने लगती है । यकायक वह
विकराल हो उठती है । और तब सब सौन्दर्य से रहित होकर, वह
घिनौनी और कुरूप हो उठती है । उसकी मधुर सुरीली आवाज भी चुङैल जैसी भयानक विकृत हो
उठती है ।
अब रहा उस तंत्रदीप का सवाल ।
कोई साधारण आदमी भी जान सकता है कि वह कोई प्रेतक उपचार है । कोई रूहानी बाधा
।
बस एक रहस्य और बनता है । वह काली छाया औरत ।
लेकिन मुझे वह भी कोई रहस्य नहीं लगती ।
वह वहीं शमशान में रहने वाली कोई साधारण स्त्री रूह हो सकती है । जो उस वीराने
में हम दोनों को देखकर महज जिज्ञासावश आ जाती होगी । क्योंकि उसने इसके अलावा कभी
कोई और रियेक्शन नहीं किया, या शायद इंसानी जीवन से दूर हो जाने पर, उसे दो मनुष्यों के पास बैठना सुखद लगता हो ।
- शिव शिव । मनसा आसमान की ओर दुआ के अन्दाज में हाथ उठाकर बोला - वाह रे प्रभु ! तू कैसी कैसी कहानी लिखता है । मेरे बच्चे की रक्षा करना, उसे सही राह दिखाना ।
- सही राह । उसने सोचा, और बहुत देर बाद एक सिगरेट सुलगायी - कहाँ हो सकती है सही राह । इस घर में, पदमा के पीहर में, या अनुराग में, या उस जतिन में, या फ़िर कहीं और ?
एकाएक उसे फ़िर झटका लगा ।
- शिव शिव । मनसा आसमान की ओर दुआ के अन्दाज में हाथ उठाकर बोला - वाह रे प्रभु ! तू कैसी कैसी कहानी लिखता है । मेरे बच्चे की रक्षा करना, उसे सही राह दिखाना ।
- सही राह । उसने सोचा, और बहुत देर बाद एक सिगरेट सुलगायी - कहाँ हो सकती है सही राह । इस घर में, पदमा के पीहर में, या अनुराग में, या उस जतिन में, या फ़िर कहीं और ?
एकाएक उसे फ़िर झटका लगा ।
उसे सिगरेट पीते हुये पदमा बङे मोहक भाव से देख रही थी । जैसे उसमें डूबती जा
रही हो ।
सिगरेट का कश लगाने के बाद, जब वह धुँये के
छल्ले छोङता, तो उसके सुन्दर चेहरे पर स्मृति विरह के ऐसे
आकर्षक भाव बनते । जैसे मानों उन छल्लों में लिपटी हुयी ही वह गोल गोल घूमती, उनके साथ ही आसमान में जा रही हो ।
वह
घबरा गया । उसकी एक दृष्टि मात्र से घबरा गया । ऐसे क्या देख रही थी वह, और क्यों देख रही थी वह ?अमेजोन किंडले पर उपलब्ध
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