रविवार, अप्रैल 01, 2012

कामवासना 19


- इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं, मेरे बच्चे । उसकी बात सुनकर मनसा कतई अप्रभावित स्वर में बोला - ये जीवन का असली गणित है । गणित ! जिसके सही सूत्र पता होने पर, जिन्दगी का हर सवाल हल करना, आसान हो जाता है । एक सामान्य मनुष्य, दरअसल तत्क्षण उपस्थिति चीजों से, हर स्थिति का आंकलन करता है । जैसे कोई झगङा हुआ, तो वह उसी समय की घटना और क्रिया पर विचार विमर्श करेगा । पर ज्यों ज्यों खोजेगा, झगङे की जङ भूतकाल में दबी होगी । जैसे कोई यकायक रोगी हुआ, तो वह सोचेगा कि अभी की इस गलती से हुआ, पर ऐसा नहीं । रोग की जङ कहीं भूतकाल में पनप रही होगी । धीरे धीरे ।
- मैं कुछ समझा नहीं । वह उलझकर बोला - आपका आशय क्या है ?
- हुँऽ । जोगी विचार युक्त भाव से गहरी सांस लेकर बोला - मेरे कहने का मतलब है कि आज जो तुम्हारे सामने है । उसकी जङें, बीज कहीं दूर भूतकाल में हैं, और तुम्हारे लिये अदृश्य भूमि में अंकुरित हो रहे हैं । धीरे धीरे बढ़ रहे हैं । मैं सीधा तुम्हारे केस पर बात करता हूँ । पदमा के रहस्य की हकीकत जानने के लिये, तुम्हें भूतकाल को देखना होगा । उसकी जिन्दगी के पिछले पन्ने पलटने होंगे । और उनमें कुछ भी लिखा हो सकता है । मगर उस इबारत को पढ़कर ही तुम कुछ, या सब कुछ जान पाओगे । अब ये तुम पर निर्भर है कि तुम क्या कैसे और कितना पढ़ पाते हो ?
- पर । उसने जिद सी की - इसमें पढ़ने को अब क्या बाकी है ? पदमा तीस साल की है । विवाहित और अति सुन्दर । उसका एक देवर है, पति है । बस, वह अपने पति से न सन्तुष्ट है,  असन्तुष्ट ।
लेकिन अपनी तरुणाई में, वह किसी जतिन से प्यार करती थी । मगर वह साधु हो गया । बस अपने उसी पहले प्यार को, वह दिल से निकाल नहीं पाती । क्योंकि कोई भी लङकी नहीं निकाल पाती ।
.. और फिर शायद उसी प्यार को वह हर लङके में खोजती है । क्योंकि पति में ऐसा प्रेमी वाला प्यार खोजने का सवाल ही नहीं उठता । पति और प्रेमी में जमीन आसमान का अंतर होता है ।..इसके लिये वह किसी लङके को आकर्षित करती है । उसे अपने साथ खेलने देती है । यहाँ तक कि कामधारा भी बहने लगती है । यकायक वह विकराल हो उठती है । और तब सब सौन्दर्य से रहित होकर, वह घिनौनी और कुरूप हो उठती है । उसकी मधुर सुरीली आवाज भी चुङैल जैसी भयानक विकृत हो उठती है ।
अब रहा उस तंत्रदीप का सवाल ।
कोई साधारण आदमी भी जान सकता है कि वह कोई प्रेतक उपचार है । कोई रूहानी बाधा ।
बस एक रहस्य और बनता है । वह काली छाया औरत ।
लेकिन मुझे वह भी कोई रहस्य नहीं लगती ।
वह वहीं शमशान में रहने वाली कोई साधारण स्त्री रूह हो सकती है । जो उस वीराने में हम दोनों को देखकर महज जिज्ञासावश आ जाती होगी । क्योंकि उसने इसके अलावा कभी कोई और रियेक्शन नहीं किया, या शायद इंसानी जीवन से दूर हो जाने पर, उसे दो मनुष्यों के पास बैठना सुखद लगता हो ।
- शिव शिव । मनसा आसमान की ओर दुआ के अन्दाज में हाथ उठाकर बोला - वाह रे प्रभु ! तू कैसी कैसी कहानी लिखता है । मेरे बच्चे की रक्षा करना, उसे सही राह दिखाना ।
- सही राह । उसने सोचा, और बहुत देर बाद एक सिगरेट सुलगायी - कहाँ हो सकती है सही राह । इस घर में, पदमा के पीहर में, या अनुराग में, या उस जतिन में, या फ़िर कहीं और ?
एकाएक उसे फ़िर झटका लगा ।
उसे सिगरेट पीते हुये पदमा बङे मोहक भाव से देख रही थी । जैसे उसमें डूबती जा रही हो ।
सिगरेट का कश लगाने के बाद, जब वह धुँये के छल्ले छोङता, तो उसके सुन्दर चेहरे पर स्मृति विरह के ऐसे आकर्षक भाव बनते । जैसे मानों उन छल्लों में लिपटी हुयी ही वह गोल गोल घूमती, उनके साथ ही आसमान में जा रही हो ।
वह घबरा गया । उसकी एक दृष्टि मात्र से घबरा गया । ऐसे क्या देख रही थी वह, और क्यों देख रही थी वह ?


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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।