रविवार, अप्रैल 01, 2012

कामवासना 20


भाङ में गयी ये देवर भाभी रहस्य कथा, और भाङ में गयी ये सी आई डी कि तंत्रदीप क्या, छाया औरत क्या ? यहाँ उसे अपने वजूद बचाने के लाले थे । उसने तय किया, अब इस चक्कर में कोई दिलचस्पी नहीं लेगा, क्योंकि ये उसके बस का है भी नहीं ।
- वैसे कुछ भी बोलो । तब वह जान छुङाने के उद्देश्य से जाने का निश्चय करता हुआ अन्तिम औपचारिकता से बोला - जतिन जी ने आपका दिल तोङकर अच्छा नहीं किया ।
- डांट माइंड ! बट, शटअप मि. नितिन । वह शटअप भी ऐसी दिलकश अदा से बोली कि वह फ़िर विचलित होने लगा - मुझे जतिन की बुराई सुनना कतई बर्दाश्त नहीं । अगेन डांट माइंड । बिकाज यू आर फ़ुल्ली फ़ूल । सोचो, अगर वो ऐसा न करते, तो फ़िर इतनी दिलचस्प कहानी बन सकती थी ? क्या कमाल की कहानी लिखी उन्होंने ।
और ये खुला चैलेंज था उसके लिये, जैसे वह उसका मतलब समझ गयी थी, और कह रही थी, कि इस कहानी के तारतम्य को आगे बढ़ाना, और उसके सूत्र जोङना, तुम जैसे बच्चों का खेल नहीं ।
उसने एक नजर खामोश बैठे मनोज पर डाली । क्या अजीब सी रहस्यमय फ़ैमिली थी ।
उनके घर में उसे सब कुछ अजीब सा लगा था । और वे एक अजीब से ढंग से शान्त भी थे, और अप्रभावित भी ।
कोई बैचेनी लगता ही नहीं, कि उन्हें थी । जबकि उनसे ज्यादा बैचेनी उसे हो रही थी ।
क्या करना चाहिये उसे ? उसने सोचा ।
यदि वह ऐसे मामूली से चक्रव्यूह से घबरा जाता, तो फ़िर उसका तंत्र संसार में जाना ही बेकार था । बल्कि उसका संसार में जीना ही बेकार था, फ़िर उससे अच्छे और साहसी तो ये पदमा और मनोज थे, जो कि उस कहानी के पात्र थे ।
कहानी ! जो साथ के साथ जैसे हकीकत में बदल रही थी ।
उसने फ़िर से पदमा के शब्दों पर गौर किया -  सोचो, अगर वो ऐसा न करते, तो फ़िर इतनी दिलचस्प कहानी बन सकती थी ? क्या कमाल की कहानी लिखी उन्होंने ।
वह सही ही तो कह रही थी ।
किसी जतिन ने, सुन्दरता की देवी समान, पदमा के प्यार का तिरस्कार करके ही तो इस कहानी की शुरूआत कर दी थी ।
अगर उन दोनों का आपस में सामान्यतः प्रेम संयोग हो जाता, तो फ़िर कोई कहानी बन ही नहीं सकती थी । फ़िर न मनोज जीवन का वह अजीब देवर भाभी प्रेम रंग देखता, और न शायद वह किसी वजह से तंत्रदीप जलाता, न उनकी मुलाकात होती, और न आज वह इस घर में बैठा होता । क्या मजे की बात थी कि इस कहानी का दूर दूर तक कोई रियल प्लाट नहीं था, और कहानी निरंतर लिखी जा रही थी, ठीक उसी तरह, जैसे बिना किसी बुनियाद के, कोई भवन महज हवा में बन रहा हो, वो भी बाकयदा पूरी मजबूती से । बङा और आलीशान भी ।


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बहुचर्चित एवं अति लोकप्रिय लेखक राजीव श्रेष्ठ यौगिक साधनाओं में वर्षों से एक जाना पहचाना नाम है। उनके सभी कथानक कल्पना के बजाय यथार्थ और अनुभव के धरातल पर रचे गये हैं। राजीव श्रेष्ठ पिछले पच्चीस वर्षों में योग, साधना और तन्त्र मन्त्र आदि से सम्बन्धित समस्याओं में हजारों लोगों का मार्गदर्शन कर चुके हैं।